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राहुल गाँधी के सज़ा माफ़ी याचिका पर शुक्रवार को होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जवाबी हलफनामे में राहुल ने कहा ‘वह इस सज़ा पर रोक चाहते है, दुबारा सांसद का दर्जा हासिल करना चाहते है, मगर इसके लिए माफ़ी नही मांगेगे’

आदिल अहमद

डेस्क: शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की सूरत कोर्ट द्वारा दिली सज़ा पर रोक लगाने सम्बन्धी याचिका पर सुनवाई होगी। कल इस बड़े मामले पर सुनवाई को लेकर सभी की निगाहें टिकी हुई है। वही आज अपने जवाबी हलफनामे में राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से माफ़ी न मांगने की बात स्पष्ट रूप से कहा है। राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह माफ़ी नहीं मांगेंगे। भले ही वह ये चाहते हैं कि इस सज़ा पर रोक लगे और वो सांसद का दर्जा फिर से हासिल कर सकें लेकिन इसके लिए वो माफ़ी मांगने को तैयार नहीं हैं।

Rahul Gandhi’s pardon petition will be heard in the Supreme Court on Friday, in the counter affidavit, Rahul said, ‘He wants to stop this sentence, wants to get the status of MP again, but will not apologize for this’

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में राहुल गांधी ने कहा है कि ‘बिना किसी ग़लती के याचिकाकर्ता पर आपराधिक केस करके, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सदस्यता रद्द करके किसी को माफ़ी मांगने के लिए मज़बूर करना न्यायिक प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है और इस कोर्ट की ओर से इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।’ इसके अलावा कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि इस कोर्ट में उन्हें सफलता मिलेगी क्योंकि यह एक ‘असाधारण मामला’ है, जहाँ एक मामूली बात की बड़ी क़ीमत चुकायी जा रही है और निर्वाचित सांसद के रूप में उन्हें लंबे वक़्त से अयोग्य ठहरा दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट से अपनी सज़ा पर रोक लगाने की अपील करते हुए राहुल गांधी ने कोर्ट को बताया कि पूर्णेश मोदी ने उनके कथित आपराधिक इतिहास को दिखाने के लिए उनके ख़िलाफ़ कई लंबित मामलों का सहारा लिया है, लेकिन उन्हें किसी अन्य मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है और ज्य़ादातर मामले प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से दर्ज कराए गए हैं। हलफ़नामे में कहा गया है कि ‘याचिकाकर्ता एक सांसद और विपक्ष के नेता हैं और इसलिए सत्ता में बैठे लोगों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना ज़रूरी था। मानहानि का इरादा था या नहीं इसे समझने के लिए भाषण को पूरा पढ़ना जरूरी होगा। इसके अलावा, ये साफ़ है कि मानहानि एक नॉन-कॉग्निज़ेबल, कंपाउंडेबल और ज़मानती अपराध है।’

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