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सुप्रीम कोर्ट ने लगाया राहुल गाँधी को सूरत की अदालत द्वारा दिली सज़ा पर रोक, जाने कैसे होगी संसद में सदस्यता बहाल, पढ़े अदालत ने क्या कहा अपने फैसले में

तारिक़ खान

डेस्क: जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आज बरोज़ जुमा राहुल गांधी की ‘मोदी चोर’ टिपण्णी पर निचली अदालत से दिले फैसले पर रोक सम्बन्धी याचिका पर सुनवाई करते हुवे सज़ा पर रोक लगा दिया है। यह याचिका उनकी सजा पर रोक लगाने से गुजरात हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुवे दाखिल की गई थी। सूरत की एक निचली अदालत द्वारा राहुल गाँधी को इस टिप्पणी के लिए आईपीसी इस धारा में वर्णित अधिकतम सज़ा सुनाया था। जिसके बाद सूरत सेशन कोर्ट और गुजरात हाई कोर्ट ने सजा बरक़रार रखा था। इस सजा के परिणामस्वरूप राहुल गांधी को संसद सदस्यता भी गवानी पड़ी थी।

Supreme Court bans Rahul Gandhi from being punished by Surat court, know how the membership in Parliament will be restored, read what the court said in its decision

आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाये गए फैसले के पहले अदालत में हुई सुनवाई के दरमियान हर एक बिन्दुओ पर गौर हुआ और कही न कही से इसको सियासी मद्देनज़र भाजपा की हार ही समझा जा सकता है। शिकायतकर्ता पुर्णेश मोदी के जानिब से राम जेठमलानी के पुत्र बतौर अधिवक्ता पेश हुवे थे। जबकि राहुल गांधी ने कल ही अपने जवाबी हलफनामे में कह दिया था कि वह बेशक इस सजा पर रोक चाहते है, मगर इसके लिए वह माफ़ी मांगने को कतई तैयार नही है। जिसके बाद आज अदालत में जमकर बहस हुई और जस्टिस बीआर गवई के कई तल्ख़ सवालो का जवाब पुर्णेश मोदी के अधिवक्ता को खामोश कर गये।

अदालत ने अपने फैसले में आज निचली अदालत के फैसले को ही सवालो पर रखते हुवे कहा कि आखिर क्यों इस धारा की अधिकतम सज़ा ही मुक़र्रर किया गया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ‘भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत दंडनीय अपराध के लिए सजा अधिकतम दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों है। विद्वान ट्रायल जज ने अपने द्वारा पारित आदेश में अधिकतम दो साल की सजा सुनाई है। सिवाय इसके कि अवमानना ​​की कार्यवाही में इस न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि विद्वान ट्रायल जज द्वारा दो साल की अधिकतम सजा सुनाते समय कोई अन्य कारण नहीं बताया गया है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह केवल दो साल की अधिकतम सजा के कारण है विद्वान विचारण न्यायाधीश द्वारा लगाया गया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के प्रावधान लागू हो गए। यदि सजा एक दिन कम होती, तो प्रावधान लागू नहीं होते।‘

अदालत ने कहा कि ‘विशेष रूप से जब अपराध गैर-समझौता योग्य, जमानती और संज्ञेय था, तो विद्वान ट्रायल न्यायाधीश से कम से कम यह अपेक्षा की जाती थी कि वह अधिकतम सजा देने के लिए कारण बताए। हालांकि विद्वान अपीलीय अदालत और उच्च न्यायालय ने आवेदनों को खारिज करने में काफी पन्ने खर्च किए हैं, लेकिन इन पहलुओं पर विचार नहीं किया गया है।’ साथ ही पीठ ने कहा कि राहुल गांधी के बयान ‘अच्छे स्वाद’ में नहीं थे और कहा कि सार्वजनिक जीवन में एक व्यक्ति को सार्वजनिक भाषण देते समय अधिक सावधान रहना चाहिए।

साथ ही अदालत ने कहा कि धारा 8(3) के व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए न केवल याचिकाकर्ता के अधिकार बल्कि निर्वाचन क्षेत्र में उसे निर्वाचित करने वाले मतदाताओं के अधिकार भी प्रभावित होते हैं और यह तथ्य भी कि ट्रायल कोर्ट द्वारा अधिकतम सज़ा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है। सजा पर पीठ ने कहा कि वह सजा पर रोक लगा रही है। पीठ ने अपील के लंबित होने पर विचार करते हुए मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया। अदालत ने इसके साथ ही राहुल गाँधी की सज़ा पर रोक लगा दिया, जिसके साथ ही राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता भी अब स्थापित हो गई है।

क्या कहते है नियम, कैसे बहल होगी संसद सदस्यता ?

नियमो के तहत सदस्यता बहाली की प्रक्रिया ये है कि जैसे ही सुप्रीम कोर्ट आदेश (अयोग्यता के फ़ैसले पर रोक) देता है तो अयोग्यता अपने आप खत्म हो जाएगी। जैसे ही ये आदेश निष्प्रभावी होता है, सदस्यता बहाल हो जाती है। लोकसभा सचिवालय को एक अधिसूचना जारी कर ये कहना होगा कि राहुल गांधी को दोषी करार दिए जाने के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिणामस्वरूप उनकी सदस्यता बहाल की जाती है। ये तत्काल प्रभाव से नियमानुसार किया जाता है।

अब बात ये है कि लोकसभा सचिवालय ने उन्हें दोषी करार दिए जाने के फ़ैसले के बाद जितनी जल्दबाज़ी दिखाई थी, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उतनी ही तत्परता दिखानी होगी। अगर ऐसा होता है और कल सचिवालय पत्र जारी करता है तो राहुल गांधी सोमवार से संसद के सत्र में हिस्सा ले सकते हैं और अगर उन्हें दोषी करार दिए जाने के फ़ैसले का मामला नहीं सुलझा तब भी वे अगला लोकसभा चुनाव लड़ सकेंगे।

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