Varanasi

तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ: लोहता थाने के ‘स्वघोषित इंटरनेशनल मुखबिर’ कलीम खान ‘जुम्मन’ ने इस बार बेच डाला अँधेरी रतिया में मजार की बाउंड्री का ईंटा?

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के लोहता थाना क्षेत्र स्थित धमरिया के निवासी है कलीम खान उर्फ़ जुम्मन। आपने मुखबिर का नाम सुना होगा। पुलिस के सुचना तंत्र को कहते है मुखबिर। जो मुखबिर होता भी है वह खुद को लोगो की नजरो से बचा कर रखता है। मगर कलीम खान उर्फ़ जुम्मन ऐसे ‘स्वघोषित इंटरनेश्नल मुखबिर’ है जो सबसे घूम घूम कर कहते है कि ‘मैं मुखबिर हु।’

जुम्मन बाबु के कारनामे बड़े विचित्र है। किसी की भी ज़मीन को किसी और को बेच देने में महारत हासिल है। मतलब पूरी तरह से बेचते नही है, बल्कि बेचने के नाम पर 2-4 हजार रूपये लेकर रफूचक्कर हो जाते है। सुनने में आया है कि 10 रुपया एडवांस चिलम का लेते है और फिर गांजा आधे घंटे बाद देने का वायदा करके फुर्र हो जाते है। एक अधिवक्ता के खुद को करीबी बताने वाले कलीम खान उर्फ़ जुम्मन एक ‘पतलकाल छाब’ का भी खुद को करीबी बताते है और उनका प्रतिनिधि बताते है। वैसे मिली जानकारी के अनुसार अधिवक्ता साहब कभी कभी इनको चाय पान मंगवाने के लिए पैसा देते है तो आधा लेकर ये फुर्र हो जाते है। गांजा ये ‘स्वघोषित मुखबिर’ खुल्लम खुल्ला बेचते है और स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी भी है।

कलीम खान उर्फ़ जुम्मन की पत्नी उनसे बड़ी परेशान रहती है। हम भावनाओं की क़द्र करते है। क्योकि कलीम खान उर्फ़ जुम्मन भावनाओं में बहकर उन बेचारी को भी कूट देते है। ये बात उनको पत्नी ने एक बार हमसे खुद बताया था। ‘स्वघोषित मुखबिर’ जुम्मन खान के कारनामो को सुनकर आप अगर सिर्फ मुस्कुरा रहे है तो थोडा हसते हुवे लोटपोट भी हो जाए। एसीपी साहब एक बार लोहता थाने दौरे पर आये थे। गाडी में बैठ ही रहे थे कि ‘स्वघोषित मुखबिर’ कलीम खान ‘जुम्मन’ उनके सामने जाकर जोरदार सैल्यूट करते है। सल्यूट इतना दमदार रहता है कि एसीपी साहब की गाडी भूकम्प आने का अनुभव करके सहम जाती है। इस सैल्यूट के बाद कलीम खान जुम्मन अपना ज़बरदस्त परिचय देते हुवे कहते है ‘श्रीमान मैं कलीम खान जुम्मन, मैं यहाँ का मुखबिर हु, हर जानकारी आकर यहाँ देता हु।’

एसीपी साहब भी मुस्कुरा कर चले जाते है। ‘स्वघोषित मुखबिर’ कलीम खान जुम्मन को देर रात पुलिस की गाडी चलाते हुवे भी लोग देखते है। इलाके के लोग बताते है कि रात के अँधेरे में हाथो में डंडा लेकर और खाकी पेंट पहन कर रास्ते में खड़े होकर लोगो को रोकते टोकते है। किसी नए को रोक लेते है और लाठिया के बल पर थाने ले जाने को कहते है। रास्ते में 100-200 लेकर मामला रफा दफा कर देते है। इसी क्रम में एक बार जुम्मन बाबु की जामुन बन गई थी। हमारे एक सूत्र ने बताया कि हुआ कुछ ऐसा था कि युवक मोहल्ले के ही था, मगर जुम्मन उसको पहचाने नही थे।

युवक कही से देर रात आ रहा था कि ‘स्वघोषित मुखबिर’ जुम्मन ने उसके तशरीफ़ पर एक लाठी ये सोच कर मार दिया कि शिकार मिला है। शरीर में बलिष्ठ युवक जो खुद का लगेज ढो कर ले जाने से खिन्न था, पलटा और जुम्मन को कूट कूट कर उनकी तशरीफ़ को अया कर डाला था। देर रात होने के वजह से जुम्मन को बचाने के लिए लोगो को आते आते वक्त लग गया और तब तक जुम्मन बाबु की तशरीफ़ सार्वजनिक हो चुकी थी और लोगो ने उनकी तशरीफ़ का दीदार करके उनको एक लुंगी उपलब्ध करवाया कि जुम्मन मिया लोग पहन लो।

जुम्मन बाबु ऐसे काण्ड करते है कि उसकी चर्चा फर्श पर नहीं अर्श पर होती है। एक बार उन्होंने तीन शरीफ घरो को निशाना बनाया और उनको जाकर बताया कि ‘फलनवा तुम्हारे लड़के का नाम थाना पर लिखवा दिया है। 2 हज़ार दो तो नाम कटवा देंगे।’ परिवार डर गया बात 500 पर तय हुई। ‘जुम्मन मिया’ को 500 मिल गया। उसके कुछ दिन बाद शिकार अच्छा देखा ‘जुम्मन’ दुबारा पहुचे और कहा कि 2 हज़ार और दो, साहब नही मान रहे है। परिवार ने उनसे वक्त माँगा और उस ‘फलनवा’ के पास पहुच गया और पूरी बात बताया, तो फलनवा उनको लेकर थाने पहुच गया और वहा पूरी बात परिजनों ने बताया तो तत्कालीन थानाध्यक्ष ने परिजनों को दिलासा दिया कि ऐसी कोई बात नही है। फर्जी अफवाह है।

अब एक लेटेस्ट कांड ‘स्वघोषित मुखबिर’ कलीम खान जुम्मन ने कर डाला है। धमरिया मैदान में स्थित मजार मरहूम मुंशी खान के चारदीवारी हेतु राजू मिया ने पुराना ईंट मंगवाया था। जुम्मन मियाँ को ईंट बड़ी पसंद आई और उन्होंने एक से बात करके पूरी ईंट ही किसी को बेच डाला। इसकी जानकारी आज दोपहर को जब राजू मिया को हुई तो जुम्मन की तलाश जारी हुई। मगर कलीम खान उर्फ़ जुम्मन फरार हो चुके थे। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार कलीम खान उर्फ़ जुम्मन के इस जरायम की जानकारी स्थानीय थाना लोहता को दिया है। अब देखना होगा कि अक्सर शिकायतों के बाद भी कार्यवाही से बचते ‘स्वघोषित मुखबिर’ जुम्मन खान उर्फ़ कलीम खान पर कोई कार्यवाही होगी या फिर पुलिस की मेहरबानी कायम रहेगी।

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