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नुह हिंसा पर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुवे सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘मुसलमानों का बहिष्कार बर्दाश्त नही’, केंद्र सरकार के तरफ से पेश एडिशनल सालिसिटर बोले ‘सरकार नफरत भरे भाषणों का समर्थन नहीं करती’

तारिक़ खान

हरियाणा के नूह में 31 जुलाई को विश्व हिंदू परिषद की बृजमंडल जलाभिषेक यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क जाने से 6 लोगों की मौत हुई थी। इस सांप्रदायिक हिंसा के बाद मुस्लिम समुदाय के बहिष्कार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई है। कल शुक्रवार को नूह हिंसा से सम्बंधित एक याचिका पर सुनवाई के दरमियान अदालत ने कहा कि बायकॉट बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये याचिका शाहीन अब्दुल्ला ने दायर की थी। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवी भट्टी की बेंच ने सुनवाई की।

While hearing the petition filed on Nuh violence, the Supreme Court said, ‘Boycott of Muslims is not tolerated’, Additional Solicitor appearing on behalf of the Central Government said, ‘Government does not support hate speeches’

अदालती मामलो पर समाचार प्रकाशन करने वाली खबरिया साईट बार एंड बेंच के मुताबिक, याचिका में 2 अगस्त को सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो का हवाला दिया गया है। दावा है कि इस वीडियो में मुस्लिम समुदाय के बहिष्कार की अपील की गई थी। याचिका में बताया गया कि वायरल वीडियो में ‘समहस्त हिंदू समाज’ के लोग दिख रहे हैं, जो हरियाणा के हिसार के निवासियों और दुकानदारों को चेतावनी दे रहे हैं।

वीडियो में समस्त हिंदू समाज वाले धमकी भरे लहजे में कह रहे हैं कि अगर दुकान वाले किसी भी मुस्लिम को रोजगार देंगे या नौकरी से नहीं निकालेंगे, तो उनकी दुकानों का बहिष्कार किया जाएगा। याचिका में दावा किया गया कि यह सब पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ। याचिका के मुताबिक, समुदायों को बदनाम करने और लोगों के खिलाफ हिंसा को उकसाने वाली रैलियों का असर केवल रैली वाले क्षेत्र तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इससे देश भर में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने का खतरा रहता है। इसीलिए, कोर्ट से अपील की गई कि वह राज्य और जिला प्रशासन को निर्देश दे कि इस तरह से नफरत भरे भाषणों वाली रैलियों को अनुमति नहीं दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि सरकार नफरत भरे भाषणों का समर्थन नहीं करती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर नफरत भरे भाषणों से निपटने का तंत्र काम नहीं कर रहा है। वहीं याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिका में बताए गए भाषण पुलिस की मौजूदगी में दिए गए थे। फिलहाल बेंच मामले में अब शुक्रवार, 18 अगस्त को सुनवाई करेगी।

अदालती मामलो पर समाचार प्रकाशन करने वाली खबरिया साईट बार एंड बेंच के मुताबिक, बेंच ने नूह हिंसा के बाद दर्ज हुए मामलों की जांच के लिए हरियाणा के पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने पर भी विचार किया। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा ‘समुदायों के बीच कुछ सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। मुझे नहीं पता कि इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, लेकिन किसी भी तरह से यह स्वीकार्य नहीं है। यह मेरा विचार है, हम डीजीपी से उनके चुने हुए तीन से चार अधिकारियों की एक कमेटी बनाने के लिए कह सकते हैं। SHO और बाकी अधिकारी सभी सबूत जांच के लिए कमिटी को दे सकते हैं। कमेटी सबूतों की जांच करके जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देशित कर सकती है। SHO और पुलिस स्तर पर सभी को संवेदनशील बनाने की जरूरत है।’

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