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राजस्व में घोटाले के 7 मामलो सहित खुद की भी जांच करने की किया आईएएस अधिकारी ने जांच की मांग, विभाग में मचा हड़कंप

तारिक़ खान

डेस्क: प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले राज्य कर विभाग में एक शिकायती पत्र ने खलबली मचा दी है। विभाग के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ जांच के एक मामले में रिश्वत लेकर क्लीन चिट देने का आरोप लगाया गया है। इस संबंध में एक पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय और दूसरा पत्र कमिश्नर राज्य कर को दिया गया है। जवाब में आईएएस अधिकारी ने अरबों के राजस्व नुकसान से जुड़े सात मामलों के साथ खुद की जांच भी किसी भी स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराए जाने की संस्तृति कर दी। पूरे मामले में आयुक्त राज्य कर से आख्या मांगी गई। रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। मामले की जांच शुरू हो गई है।

सरकारी खजाने को भरने में अव्वल राज्य कर विभाग में इन दिनों भूचाल मचा है। बरसों से जमे अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर उठा विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि राज्यकर विभाग में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अपर आयुक्त प्रशासन ओपी वर्मा के खिलाफ मुख्यमंत्री कार्यालय और कमिश्नर राज्यकर में एक शिकायत ने हलचल मचा दी। पत्र के मुताबिक, आईएएस अफसर को राज्य मुख्यालय में ज्वाइंट कमिश्नर पद पर तैनात एक अधिकारी की जांच सौंपी गई थी। अधिकारी पर करीब 1400 करोड़ रुपये की राजस्व हानि का आरोप था, जिसमें उन्हें निलंबित किया गया था।

पत्र में आईएएस अधिकारी पर आरोप लगाया गया है कि जांच में फंसे अधिकारी से 70 लाख रुपये लेकर क्लीन चिट दी गई है। क्लीन चिट मिलने के बाद अधिकारी का प्रमोशन एडीश्नल कमिश्नर पद पर हो गया। सबसे पहले इस संबंध में एक पत्र रविन्द्र सिंह बिष्ट नाम के एक व्यक्ति ने राज्य कर आयुक्त को दिया। फिर पूरे मामले की जांच से जुड़ा एक पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय में दिया गया। वहां से जांच के लिए शासन को मामला भेजा गया। इस बीच शिकायती पत्र को बेबुनियाद और साजिश करार दैते हुए अपर आयुक्त ने सात मामलों की फेहरिस्त तैयार की। इन मामलों में अरबों रुपये की राजस्व हानि के आरोप हैं।

उन्होंने सभी मामलों के साथ खुद पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए जाने की जांच एसआईटी, सीबीआई या किसी भी जांच एजेंसी से कराने की सिफारिश कर दी। साक्ष्यों के साथ दिए गए इस पत्र को शासन भेजा गया। शासन से इस मामले में राज्य कर आयुक्त से आख्या मांगी गई। सूत्रों के मुताबिक, आयुक्त ने भी जांच की संस्तुति कर दी। अब मामले की फाइल शासन के पास भेजी गई है, जहां पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है। पड़ताल के बाद किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का फैसला लिया जाएगा।

अपर मुख्य सचिव राज्य कर नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा “इस मामले में अपर आयुक्त प्रशासन ओपी वर्मा से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार दिया। ओपी वर्मा से जुड़े पत्र की जांच की मांग और शिकायतों से जुड़ा प्रकरण संज्ञान में आया है। इस संबंध में शासन में पत्र आया है। पूरे मामले की जांच कराई जा रही है। जांच के बाद निकले निष्कर्ष पर आगे का फैसला लिया जाएगा।“

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