तारिक़ आज़मी
डेस्क: अदालत में हैदराबाद के एक कुकी प्रोफेसर की पैरवी करने को लेकर एक अज्ञात भीड़ द्वारा शुक्रवार (1 सितंबर) को इंफाल में दो मेईतेई वकीलों के घरों और चेंबर में तोड़फोड़ की गई। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, दो वकील- सोरैशम चित्तरंजन और विक्टर चोंगथम और दो अन्य लोग ‘निजी समस्यायों’ का हवाला देते हुए गुरुवार (31 अगस्त) को मुकदमे से हट गए थे।
हमलावरों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और जांच जारी है। एफआईआर में कहा गया है कि ‘जैसे ही यह खबर फैली कि वह (चितरंजन) मेईतेई और कुकी समुदाय के बीच चल रही सांप्रदायिक संघर्ष के संबंध में मणिपुर हाईकोर्ट में कुकी समुदाय के मामले के वकील हैं, लगभग 300 लोगों ने वकील के घर पर धावा बोल दिया।’
आगे कहा गया, ‘भीड़ हिंसक हो गई और वो घर, जिसमें उनके भाई- एस जितेश्वर और एस मनोरंजन भी रहते हैं, उसे तबाह कर दिया, घर और घरेलू सामान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं, लेकिन किस्मत से (वहां) कोई हताहत नहीं हुआ।’ पुलिस ने अख़बार को बताया कि दंगा, गैरकानूनी सभा, घर में अतिक्रमण और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
गौरतलब है कि यह हमला तब हुआ है जब पिछले सौ दिनों से अधिक मणिपुर जारी जातीय संघर्ष जारी है, जिसमें 163 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं। हाल में 29 अगस्त को भड़की और तीन दिनों तक जारी रही ताजा हिंसा के कारण आठ लोगों की जान चली गई और लगभग 20 लोग घायल हुए हैं। ज्ञात हो कि हाउजिंग के खिलाफ मुकदमा इंफाल पूर्व के निवासी मोइरांगथेम मनिहार सिंह की शिकायत पर जुलाई महीने में दर्ज हुआ था, जब उन्होंने द वायर के लिए पत्रकार करण थापर को दिए एक साक्षात्कार में मणिपुर की मौजूदा स्थिति के बारे में बात की थी।
17 जून को अपने साक्षात्कार में प्रोफेसर हाउजिंग ने करण थापर से कहा था कि राज्य में जारी हिंसा के पीछे गहरे तक जड़ बना चुकीं समस्याओं को हल करने के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन। बीरेन सिंह को पद से इस्तीफा देना चाहिए और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के लिए एक अलग प्रशासन बनाना चाहिए। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार,6 जुलाई को जारी एक आदेश में कहा गया है कि हाउजिंग के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं- विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना (153ए), किसी बात को झूठा जानते हुए भी सच के रूप में इस्तेमाल करना (200) , धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर किया गया कृत्य (295ए) और आपराधिक साजिश (120बी) के तहत अपराध के लिए प्रथमदृष्टया सामग्री थी। इसमें उन्हें 28 जुलाई को अदालत में पेश होने को कहा गया था।
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