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‘रहे जो अगले बरस तो हम है और ये गम हैं, जो चल बसे तो अपना सलाम आख़िर’: कदीमी तरीकत से निकला साठे का जुलुस पहुंचा दरगाह-ए-फातमान, ‘आई ज़हरा की सदा, ऐ हुसैन अलविदा’, की सदा से गूंज उठा शहर-ए-बनारस, देखें दिलकश तस्वीरें

शाहीन बनारसी

वाराणसी: पूरे मुल्क के आलम-ए-इस्लाम द्वारा आज साठा पूरी अकीदत के साथ मनाया जा रहा है। गम-ए-शहादत-ए-हुसैन का आज आखरी दिन है।

इस मौके पर सभी जगहों पर अलम के जुलूस निकले और गम-ए-हुसैन में मातम तथा नौहा ख्वानी हुई।

इसी क्रम में वाराणसी के दालमंडी स्थित पुरानी अदालत के ‘शब्बीर-ओ-शब्दर इमामबाड़े से एक आलिशान जुलूस निकला जो समाचार लिखे जाने तक फातमान स्थित कर्बला में पहुच चूका है।

फातमान में जुलूस पहुचने पर नौहाख्वानी और मातम का सिलसिला जारी है। हर सु सदा ‘या हुसैन अलविदा’ आ रही है। जहा सिक्कड़ और चाकुओ से भी मातम हो रहा है।

‘रहे जो अगले बरस तो हम है और ये गम हैं, जो चल बसे तो अपना सलाम आख़िर’ शहर-ए-बनारस के दालमंडी के पुरानी अदालत से इसी सदा के साथ कदीमी तरीकत से साठे का जुलुस निकला।

अंजुमन हैदरी, इमाम बाड़ा शब्बीर-ओ-शब्दर से निकला यह साठे का जुलुस दालमंडी, नई सड़क, शेख सलीम फाटक, काली महल और पितृकुण्ड होते हुए दरगाह-ए-फातमान पहुंचा।

जुलुस में अंजुमन जव्वादिया की जानिब से मौलाना सय्यद युसूफ मसदी ने पितृकुंड पर लगे मंच पर तक़रीर किया और शहादत-ए-हुसैन का ज़िक्र किया।

जुलुस में हुसैन के अज़ादार सिक्कड़ का मातम करते हुए दरगाह-ए-फातमान पहुंचे। दालमंडी से लेकर जुलुस गुजरने वाले हर रास्तो पर सबील चली। सबील में नन्हे अज़ादार लोगो को पानी पिलाते नज़र आये।

जुलुस में नौहा पढ़ते हुए लोग ग़म-ए-हुसैन की याद में आंसू बहाते दिखे और हर सु सदा गूंज रही थी ‘आई ज़हरा की सदा, ए हुसैन अलविदा।‘

सिक्कड़ के मातम और मजलिस की वीडियो यहाँ देखे

Banarasi

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