तारिक़ आज़मी
वाराणसी: नशे के खिलाफ हमारी जंग जारी है। हम नशे के खिलाफ चलती इस अपनी सीरिज़ में अवैध रूप से मिलते नशीले पदार्थो से समाज को अवगत करवाते है, जिसके गिरफ्त में नवजवान पीढ़ी आकर खुद का और समाज का भविष्य ख़राब कर रही है। इसके पहले हमने शराब के बिक्री के सम्बन्ध में खबर का प्रकाशन किया जिसकी बिक्री पर लगाम लगी। इसके बाद हमने कोडिन सिरप के नशे से सम्बन्धित अपनी खबर का प्रकाशन किया था।
क्या कहते है ज़िम्मेदार
लगातार चार दिनों की मेहनत के बाद इस मामले में हमको जानकारी पुख्ता हासिल हुई। हमने जब इस सम्बन्ध में आबकारी कमिश्नर से बात किया तो उन्होंने डीईओ वाराणसी से बात करने की सलाह दिया। डीईओ वाराणसी ने कहा कि लाइसेंस हमारे तरफ से जारी नही है प्रयागराज से जारी है। तो वहा संपर्क करे, हमारे सवाल की ऐसे खुल्लम खुल्ला चाय पान की दुकानों पर यह कैसे उपलब्ध है तो उन्होंने कहा कि हम इसकी जाँच करवा लेंगे और देखवा लेंगे।
यही नही हमने फ़ूड इस्पेक्टर से बात किया तो ऐसे किसी उत्पाद के होने की उनको जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि मैं जांच करवा लेता हु और कही ऐसा उत्पाद दिखाई देता है तो उसनके ऊपर कार्यवाही करने को कहूँगा। फ़ुटबाल मैदान में मौजूद गेद की तरह हम फिर गिरते है जाकर डीईओ प्रयागराज के पाले में जहा से उचित जानकारी हमको हासिल होती है। उन्होंने बताया कि हमारे लाइसेंस नियमो के तहत लाईसेंस के तहत हम उतनी भांग उपलब्ध करवा देते है फिर वह उत्पाद में कितना मिला कर बेचते है यह उन्हें ऊपर निर्भर है। इस सम्बन्ध में उन्होंने हमको सलाह देते हुवे कहा कि जिला अयुर्वेद अधिकारी से आप संपर्क करे तो वह सही स्थिति बता सकते है।
बोले जिला आयुर्वेद अधिकारी ‘इस उत्पाद के बिक्री और सेवन न करने की दिया है सलाह
जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ सरोज शंकर राम ने हमसे फोन पर हुई बातचीत में कहा कि ऐसे उत्पादों को भांग वटी कहते है। इसके हानि और इसके लती होने की संभावनाओं को देखते हुवे हमने इसको न बेचने और न ही इस्तेमाल करने की सलाह दिया था। यदि ऐसा उत्पाद दुकानों पर बिकता है तो सरासर गैरकानूनी है। यदि पुलिस इसके ऊपर कोई कार्यवाही करती है तो हमारा पूरा सहयोग पुलिस प्रशासन को रहेगा।
कैसे होता है कारोबार ?
सूत्रों के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार भांग मिश्रित इस उत्पाद का खुद को पानदरीबा के कई दुकानदार एजेंसी होल्डर बताते है। पानदरीबा इलाके से इसकी जमकर सप्लाई होती है। सप्लाई चेन की ऐसी स्थिति है कि हर एक दुकानों पर इसकी 100-200 पैकेट मिल जाएगी। छोटे दुकानदार इसको यहाँ से 35 रूपये की एक पैकेट लेकर जाते है जिसमे 40 अदद रहता है। इसकी बिक्री में बड़ा मुनाफा भी दुकानदारों को है। 3 रूपये का एक और 5 का दो इसकी बिक्री होती है। यानी 35 रुपया लगा कर पुरे 100 रूपये की बिक्री।
याने लागत से दुगने फायदे के लालच में दूकानदार नवजवानों को नशे के गर्त में झोके पड़े है। आबकारी विभाग और फ़ूड विभाग के कर्मियों और अधिकारियो से इससे मतलब नही कि किस नाम पर क्या उत्पाद बिक रहा है और क्या हो रहा है। सारा आरोप पुलिस के मत्थे मढने वालों को भी इस बारे में सोचना चाहिए कि आखिर कब तक सिर्फ आरोप पुलिस के ही मत्थे रहेगा? आबकारी और खाद्य विभाग की अपनी जिम्मेदारियों को कब विभाग पूरी करेगा?
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