शाहीन बनारसी
नई दिल्ली: भारत में हो रहे G-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया के मुख्तलिफ मुल्को में चल रहे इस्लाम के खिलाफ दुष्प्रचार पर भी पक्ष रखा गया। आपका भोपू मीडिया जिसको आप पसंद करते है आपको वह हकीकत से रूबरू नही करवाना चाह रहा होगा। उसके लिए शायद हिन्दू मुस्लिम के नफरतो के बीच इस मुहब्बत के पैगाम को छिपाना ज़रूरी होगा।
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तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैय्यब एर्डोगन ने अपने संबोधन में कहा कि ‘एक दुनिया, एक फैमिली, एक भविष्य, यह विचार बहुत अच्छा है। लेकिन इस विचार को नुकसान तब पहुंचता है जब इस्लामोफोबिया, ज़ेनोफोबिया एक महामारी की तरह फैलने लगता है। जब मुस्लिम पर क्रूर हमला होता है, तब बड़े-बड़े लोकतंत्र वाले देश व मानवाधिकार आयोग तीन बंदर बन जाते है। न देखते है, न बोलते है, न सुनते है।’
उन्होंने कहा कि ‘जिस तरह से कुरआन शरीफ की बेहुरमती की जाती है, यह अभिव्यक्ति की आज़ादी नही है। यह हेट क्राइम है। यह सब देख कर अगर आप यह सोचते है कि हम चुप रहेंगे, तो यह बिल्कुल भी नही होगा। जिन जिन देशों पर इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने का आरोप लग रहा है, उन सभी देश को इस्लामोफोबिया के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कानून बनाना चाहिए। कानून में संशोधन करना चाहिए।’
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