ईदुल अमीन/मो0 कुमेल
डेस्क: सीरिया के हवाई अड्डों पर एक बार इसरायल के हमलो में दो लोगों के मारे जाने की खबर है। सीरिया की सरकारी मीडिया के मुताबिक इसराइल की मिसाइलों ने देश के दो मुख्य हवाई अड्डों को निशाना बनाया है। सीरियाई अरब समाचार एजेंसी का कहना है कि दमिश्क और अलेप्पो के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर हमला किया गया है।
गौरतलब हो कि सीरिया के दमिश्क और अलेप्पो हवाई अड्डे का इस्तेमाल न सिर्फ यात्री करते हैं बल्कि इन्हें सैन्य हवाई अड्डों की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। इसराइल का आरोप है कि कथित तौर पर इन हवाई अड्डों की मदद से हिज़बुल्लाह को ईरान के हथियार भेजे जा रहे थे। माना जाता है कि हिज़बुल्ला सीरिया और लेबनान दोनों जगह काफी शक्तिशाली है। हिजबुल्लाह के सम्बन्ध में इसराइल का कहना है कि वह उसके खिलाफ कोई खतरनाक गेम प्लान कर रहा है। वही हिजबुल्लाह का समर्थन हमास को होने का दावा किया जाता रहा है।
इसराइल डिफेंस फोर्सेज के प्रवक्ता जोनाथन कॉनरिकस ने रविवार सुबह, इसराइल की उत्तरी सीमा पर चल रहे अभियान के बारे में जानकारी देते हुवे कहा कि ‘हिज़बुल्लाह बहुत-बहुत खतरनाक गेम खेल रहा है। वे स्थिति को और बिगाड़ रहे हैं, क्योंकि हर दिन हमले बढ़ रहे हैं। इसराइल सिर्फ अपना बचाव कर रहा है और ऐसा करने के लिए वह ज़रूरी कदम उठा रहा है। उत्तरी इसराइल में लेबनान की सीमा के पास से लोगों को निकाल लिया गया है।’
यहाँ गौरतलब हो कि पिछले कुछ दिनों में इसराइल और लेबनान की सीमा पर सशस्त्र गुटों और इसराइली सेना के बीच बार-बार गोलीबारी की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इसकी वजह से इसराइल के साथ लगने वाली लेबनान सीमा पर तनाव बढ़ गया है। आशंकाएं जताई जा रही हैं कि ये तनाव एक बड़े संघर्ष में तब्दील हो सकता है।
कौन है हिजबुल्लाह जिसे खुद के लिए बड़ा खतरा मानता है इसराइल
हिज़बुल्लाह लेबनान में ईरान से समर्थन प्राप्त शिया इस्लामी राजनीतिक पार्टी और अर्द्धसैनिक संगठन है, जो हमास का समर्थन करता है।वर्ष 1992 से इसकी अगुवाई हसन नसरुल्लाह कर रहे हैं। इस नाम का मायने ही अल्लाह का दल है। 1980 के दशक की शुरुआत में लेबनान पर इसराइली कब्ज़ें के दौरान ईरान की वित्तीय और सैन्य सहायता से हिज़बुल्लाह का उदय हुआ। ये दक्षिणी लेबनान में पारंपरिक रूप से कमज़ोर शियाओं की रक्षा करने वाली ताक़त के रूप में उभरा।
हालांकि, इसकी वैचारिक जड़ें 1960 और 1970 के दशक में लेबनान में शिया पुनरुत्थान तक जाती हैं। वर्ष 2000 में इसराइल के पीछे हटने के बाद हिज़बुल्लाह ने अपनी सैन्य टुकड़ी इस्लामिक रेज़िस्टेंस को मज़बूत करना जारी रखा। ये समूह रेज़िस्टेंस ब्लॉक पार्टी के प्रति अपनी वफ़ादारी के चलते धीरे-धीरे लेबनान की राजनीतिक व्यवस्था में इतना अहम बन गया कि इस देश की कैबिनेट में वीटो शक्ति तक हासिल कर ली है। हिज़बुल्लाह पर वर्षों से इसराइली और अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए बमबारी और षड्यंत्र रचने का आरोप लगता रहा है। पश्चिमी देश, इसराइल, अरब खाड़ी देशों और अरब लीग हिज़बुल्लाह को ‘आतंकवादी’ संगठन मानते हैं।
हिजबुल्लाह के हमास-इसराइल जंग में कूदने के आसार को देखते हुवे बार बार इसराइल हिजबुल्लाह को इस जंग से दूर रहने की नसीहत दे रहा है। ऐसा माना जाता है कि अगर हिजबुल्लाह इस जंग में कूद पड़ा तो फिर इसराइल को कई मोर्चो पर संघर्ष करना पड़ेगा। जो इसराइल कभी नही चाहेगा। इस दरमियान ईरान ने भी कई बार चेतावनी दिया है कि अगर इजराइल ने गज़ा पर हमला बंद नही किया तो वह हिजबुल्लाह को जंग में कुदवा सकता है। ऐसे में सीरिया के हवाई अड्डे पर हुवे इस हमले से तनाव और बढ़ने की उम्मीद भी जताया जा रहा है।
अनुपम राज डेस्क: महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता और…
शफी उस्मानी डेस्क: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को फ़र्ज़ी लेटरहेड पर लिखे गए पत्र से…
तारिक आज़मी डेस्क: जंग के माहोल में इस बात की चर्चा शांति के चिंतको को…
आदिल अहमद डेस्क: मणिपुर के जिरीबाम ज़िले में सोमवार को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में…
निलोफर बानो डेस्क: झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी…
तारिक खान डेस्क: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों की मांग पर राज्य लोक…