अनुराग पाण्डेय
डेस्क: विपक्ष के कई नेताओं के आरोप लगाने के बाद अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सरकार पर एप्पल के आईफोन हैक करने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने एक संवाददाता सम्मेलन में मंगलवार को कहा कि देश के विपक्षी नेताओं को एप्पल की ओर से एक नोटिस आया है, जिसमें लिखा है कि सरकार आपके फोन को हैक करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि ये मैसेज मेरे ऑफिस के लोगों के साथ ही विपक्ष के कई नेताओं को आया है। हमारे पास इसकी पूरी लिस्ट है।
गांधी ने आरोप लगाया कि ‘बी जासूस पार्टी’ ने पहले ‘पेगासस’ का इस्तेमाल कर विपक्षी नेताओं और संस्थानों पर ताक-झाँक की, अब दूसरे तंत्र से जासूसी चालू है! इंडिया अर्थात भारत ऐसी धमकियों से नहीं डरेगा! उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी देश के लोगों का ध्यान भटकाकर देश की पूंजी अदानी को दे रहे हैं। इससे सबसे ज़्यादा नुकसान हिंदुस्तान के युवाओं का हो रहा है। “ये एक तरफ आपसे झूठे भविष्य का वादा करते हैं और फिर दूसरी तरफ आपका धन दूसरे के हाथ में सौंप देते हैं। ये हिंदुस्तान की सच्चाई है।”
राहुल गांधी ने अदानी और प्रधानमंत्री मोदी की कथित दोस्ती को बताने के लिए एक दंतकथा का सहारा लिया। उन्होंने कहा कि पुराने समय में एक राजा था, जिसकी आत्मा एक तोते में बसती थी। उसी तरह मोदी जी की आत्मा अदानी के अंदर बसती है। गांधी ने कहा कि मोदी सरकार की एक ही रट है- “अदानी बचाओ और लोकतंत्र मिटाओ!” यह बात विपक्ष को पता चल चुकी है। इसलिए अदानी को हमने ऐसा घेरा है कि वो बचकर नहीं निकल सकते।
गांधी के अनुसार, देश में जिस तरह से मोनोपॉली हावी हो रही है, उसका सभी के ऊपर असर पड़ रहा है। उनके अनुसार आज हाल ये है कि कोयले में अदानी, एयरपोर्ट में अदानी, पोर्ट्स में अदानी। इस कारण आज हिंदुस्तान दो भागों में बंट रहा है। उन्होंने बताया कि ‘प्रो मोनोपॉली’ का मतलब ‘अदानी के कंट्रोल’ से है, जबकि ‘एंटी मोनोपॉली’ का अर्थ ‘जनता के कंट्रोल’ से है। उनके अनुसार, हिंदुस्तान के भविष्य के लिए सबसे जरूरी चीज न्याय है। अगर जनता को न्याय नहीं मिलेगा, तो देश आगे नहीं बढ़ेगा। उन्होंने जाति जनगणना कराने की मांग करते हुए कहा कि इसके बिना इस देश के युवाओं को न्याय नहीं मिल सकता है।
हालांकि कुछ विपक्षी नेताओं के इस दावे के बाद कि “स्टेट स्पॉन्सर्ड अटैकर्स ने उनके आईफोन हैक करने की कोशिश की”, आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल ने अपना पक्ष रखा है। समाचार एजेंसी एएनआई और प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़, कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “एप्पल किसी चेतावनी वाले संदेश के लिए किसी विशिष्ट स्टेट स्पॉन्सर्ड अटैकर को जिम्मेदार नहीं ठहराती है। स्टेट स्पॉन्सर्ड अटैकर्स की ठीकठाक फंडिंग होती है और वे जटिल तरीके से काम करते हैं और उनके हमले वक्त के साथ बेहतर होते हैं।”
“इस तरह के हमले की पहचान ख़तरे के ख़ुफ़िया सिग्नल पर आधारित होते हैं और कई बार सटीक नहीं होते हैं और अधूरे होते हैं। ऐसा संभव है कि हमले की चेतावनी वाले कुछ मैसेज फॉल्स अलार्म हो सकते हैं या हो सकता है कि अटैकर्स का पता ही न लगे। हम किन हालात में ऐसे ख़तरों से जुड़ी सूचनाएं जारी करते हैं, ये नहीं बता सकते क्योंकि ऐसा करने पर स्टेट-प्रायोजित हमलावर, भविष्य में ऐसी हरकत पकड़े जाने से बचने का रास्ता खोज लेंगे।”
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