ईदुल अमीन/मो0 कुमेल
डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार, 28 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के कांकेर और कोंडागांव में चुनावी रैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने भाजपा को अमीरों की सरकार कहा और गरीबो का पैसा अमीरों को देने का आरोप लगाया। सरकार चलाने के दो ही तरीके होते हैं। एक तरीका ये है कि आप प्रदेश या देश के अमीर लोगों को फायदा पहुंचाओ। दूसरा तरीका है कि आप देश या प्रदेश के सबसे गरीब लोगों की मदद करो।
राहुल गाँधी ने कहा कि ‘बघेल जी ने कहा कि खदान, एयरपोर्ट, पोर्ट्स अदानी जी को दिए जाते हैं। किसान के खिलाफ जो कानून बनाए गए, वो अदानी जी की मदद करने के लिए। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में सेब का पूरा बिजनेस अदानी जी के हाथ में है। जो भी वो करते हैं, अदानी जी के लिए, देश के दो तीन बड़े उद्योगपतियों के लिए करते हैं। हम जो भी करते हैं, किसानों, मजदूरों, आदिवासियों और पिछड़ों के लिए करते हैं।’
राहुल गांधी ने कहा, ‘हम मनरेगा लाए, लोकसभा में पीएम ने देश के सब मजदूरों का अपमान किया। कहा कि मनरेगा बिल्कुल बेकार प्रोग्राम है। भोजन का अधिकार हम लाए, कर्जा माफी हमने की, क्योंकि हम जानते हैं, कि जब तक हम गरीबों की मदद नहीं करेंगे, तब तक ये देश खड़ा नहीं हो सकता, प्रगति नहीं कर सकता।’ राहुल गांधी ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी कहते हैं कि हम पिछड़ों की सरकार चलाते हैं तो आप जाति जनगणना से इतना क्यों डरते हो।’
उन्होंने कहा कि ‘अपने भाषणों में जाति जनगणना का प्रयोग क्यों नहीं करते हो। जो आंकड़े हमारी सरकार ने निकाले थे, उसे सार्वजनिक क्यों नहीं करते हो। आप जानते हो, आज के भारत में जितनी भागीदारी ओबीसी वर्ग की होनी चाहिए वो नहीं है। इस सच्चाई को आप देश के ओबीसी युवाओं को नहीं बताना चाहते, उनसे सच्चाई छिपाना चाहते हो।’
उन्होंने कहा कि ‘मैंने संसद में आंकड़ा रखा था, बीजेपी के लोग चुप हो गए। हिंदुस्तान की सरकार को 90 अफसर चलाते हैं। लोकसभा, राज्यसभा के सांसद सरकार नहीं चलाते। सरकार में 90 आईएएस अफसर हैं, जिन्हें कैबिनेट सेक्रेटरी कहा जाता है। ये असल में सरकार को चलाते हैं। सारे फैसले ये लेते हैं। मनरेगा में कितना पैसा जाएगा, सेना, वायु सेना को कितना पैसा चाहिए। सारे फैसले ये लोग लेते हैं।’
राहुल गांधी ने कहा कि ‘इन 90 लोगों में से पिछड़े वर्ग के कितने लोग हैं। 90 में से सिर्फ तीन लोग ओबीसी वर्ग के हैं। हिंदुस्तान का बजट करीब 45 लाख करोड़ रुपये का है, उसमें से ये तीन अफसर सिर्फ पांच प्रतिशत बजट पर निर्णय लेते हैं। मेरा सवाल है क्या हिंदुस्तान में ओबीसी की आबादी सिर्फ पांच प्रतिशत है?।।।दिल्ली में हमारी सरकार आएगी, दो घंटे में काम शुरू हो जाएगा। छत्तीसगढ़ में सरकार आएगी तो हम जाति आधारित सर्वे कराएंगे।’
राहुल गांधी ने कहा, ‘हम आदिवासियों को आदिवासी कहते हैं। आपने देखा होगा, बीजेपी के लोग आदिवासी नहीं कहते। वे वनवासी शब्द का प्रयोग करते हैं। शब्दों में बहुत कुछ छिपा होता है। वनवासी और आदिवासी, बिल्कुल अलग चीजें हैं। आदिवासी का मतलब, वो लोग जो हिंदुस्तान के पहले मालिक थे। मतलब ये जो पूरी की पूरी जमीन है, उसके असल मालिक, जो इस देश में पहले रहते थे, उन्हें हम आदिवासी कहते थे। इस शब्द के अंदर छिपा मतलब है कि आदिवासियों को जमीन का अधिकार मिलना चाहिए। आदिवासियों की जो संस्कृति, इतिहास, जल, जंगल और जमीन है, उसकी रक्षा की जानी चाहिए और उसका हक उन्हें मिलना चाहिए।’
राहुल गाँधी ने कहा कि ‘वनवासी का दूसरा मतलब है। वनवासी का मतलब ये नहीं है कि आप हिंदुस्तान के पहले मालिक थे। ये शब्द नहीं कहता है कि आपको हक मिलना चाहिए। वनवासी का मतलब है कि आप जंगल में रहते हैं। ये फर्क है दो शब्दों में। वनवासी शब्द हिंदुस्तान के आदिवासियों का अपमान है। आप पर आक्रमण है। आपकी संस्कृति पर, इतिहास पर, भाषाओं पर ये शब्द आक्रमण है। सच्चा शब्द आदिवासी है। कुछ महीने पहले मध्य प्रदेश में एक आदिवासी युवा पर एक बीजेपी के नेता ने पेशाब किया। ये इनकी सोच है। हमने क्या किया। हम पैसा-कानून लाए, आपकी जमीन पर आपको अधिकार दिया और आदिवासी बिल में साफ लिखा था कि अगर आपको आदिवासियों से जमीन लेनी है तो बिना ग्राम सभा से पूछे, आप जमीन नहीं ले सकते।।।बीजेपी ने ग्राम सभा से इजाजत लेनी की बात को रद्द कर दिया। पैसा-कानून और आदिवासी बिल को उन्होंने अंदर से खोखला कर दिया।’
राहुल गांधी ने कहा, ‘जहां भी बीजेपी के नेता जाते हैं, वे हिंदी की बात करते हैं। कहते हैं हिंदी सबसे जरूरी भाषा है। वे कहते हैं छत्तीसगढ़ी और अंग्रेजी जरूरी भाषाएं नहीं हैं। हमारी सोच अलग है। हम कहते हैं कि हिंदी भी जरूरी है, छत्तीसगढ़ी भी जरूरी है, अंग्रेजी भी जरूरी है। अगर आपको छत्तीसगढ़ में बात करनी है, तो आप छत्तीसगढ़ी काम आएगी। अगर यूपी, मध्य प्रदेश में बात करनी है, तो हिंदी काम आएगी। अगर आप बाकि दुनिया के लोगों से बात करना चाहो, कोई टूरिस्ट आए, उससे बात करना चाहो, कोई बड़ी कंपनी का मालिक अमेरिका से आए, उससे बात करना चाहो, तो अंग्रेजी चलेगी। हम चाहते हैं कि आप जहां भी जाओ, आप भाषा का प्रयोग कर पाओ और उसका फायदा उठा पाओ।’
उन्होंने कहा कि ‘किसी भी बीजेपी के नेता से पूछ लो, वे कहते हैं कि अंग्रेजी खराब है, हिंदी होनी चाहिए। एक बात बता दो कि आपके बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल में जाते हैं, तो वे चुप हो जाएंगे। वे कहते हैं कि गरीबों को अंग्रेजी नहीं सिखनी चाहिए, ये सारे के सारे अपने बच्चों को इंग्लिश स्कूल में पढ़ाते हैं। ये चाहते हैं कि आदिवासी, गरीब, पिछड़े लोगों के बच्चे बाकि दुनिया के साथ बिजनेस न कर पाएं, इसलिए ये लोग अंग्रेजी नहीं चलाना चाहते। सिर्फ अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में भेजना चाहते हैं। इसलिए हमने छत्तीसगढ़ में टॉप क्वालिटी के अंग्रेजी स्कूल खोले हैं, ताकि गरीब से गरीब लोग अपने बच्चों को हिंदी, छत्तीसगढ़ियां और अंग्रेजी सिखा पाएं।’ राहुल गांधी ने कहा, ‘हम केजी से लेकर पीजी तक छत्तीसगढ़ के सारे के सारे सरकारी स्कूल और कॉलेजों में मुफ्त में शिक्षा मिलेगी। एक पैसा नहीं देना पड़ेगा।’
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