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पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में उमड़ा जनसैलाब, वाराणसी के बरेका कर्मियों का जत्था भी हुआ शामिल, देखे तस्वीरे

मो0 शरीफ/ईदुल अमीन

डेस्क: पिछले कई सालों से पूरे देश में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर सरकारी कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में ये मुद्दा भी बना। राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब जैसे राज्यों ने अपने राज्य कर्मचारियों के लिए इसे लागू भी कर दिया है। हिमाचल में तो कांग्रेस का ये सबसे बड़ा चुनावी वादा था। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में भी ओपीएस लागू करने का वादा किया है।

इसी मांग को लेकर आज रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल रैली आयोजित की गई। जिसमे हज़ारो की ताय्दात में जनसैलाब उमड़ पड़ा। पुरे रामलीला मैदान में हर तरफ सिर्फ सर ही सर दिखाई दे रहा था। इस रैली में भाग लेने के लिए प्रधानमन्त्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बरेका से भी कर्मचारी पहुचे थे। इस रैली में हज़ारों लोग शामिल हुए हैं। इनमें बड़ी संख्या में सरकारी कर्मी थे। इस ‘पेंशन शंखनाद महारैली’ को नेशनल मूवमेंट फ़ॉर ओल्ड पेंशन स्कीम संगठन यानी एनएमओपीएस ने आयोजित किया था।

एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा, ‘अगर सरकार ओपीएस लागू नहीं करती है तो ‘कर्मचारी वोट की चोट’ से संदेश देने की कोशिश करेगा।’ इस रैली में विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के नेताओं समेत राकेश टिकैत भी शामिल हुए। कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने रैली में कहा, ‘अगर हरियाणा में कांग्रेस सत्ता में आती है तो पहली कलम से वो सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करेंगे।’

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि पंजाब में आप सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का फैसला ले लिया है और जल्द ही उसे लागू किया जाएगा। विजय कुमार बंधु ने कहा, ‘राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल हो सकती है तो आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरने वाला भारत अपने कर्मचारियों को पेंशन क्यों नहीं दे सकता? अगर सरकार ने पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल नहीं करती है तो आने वाले चुनाव में वोट फ़ॉर ओपीएस अभियान चलाकर पुरानी पेंशन बहाल कराएंगे।’

रामलीला मैदान ओपीएस बहाली लिखी हुई टोपी पहने हज़ारों कर्मचारियों के हुजूम से भरा हुआ था। वाराणसी के बरेका में काम करने वाले फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस के राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र पाल ने मीडिया से कहा कि पिछले साल केंद्र सरकार रेलवे कारखानों का निजीकरण करना चाह रही थी उसे कर्मचारी आंदोलन की वजह से पीछे हटना पड़ा। उनका कहना था कि ‘रेलवे कर्मचारी एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम के ख़िलाफ हैं और इस बार अगर पीएम मोदी चुनाव के लिए फिर आए तो उन्हें इन सवालों से दो चार होना पड़ेगा।’

रैली में सीपीआई एमएल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्या, कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविन्दर सिंह लवली, सपा के बिहारी यादव, बसपा से लोकसभा सांसद श्याम सिंह यादव, पूर्व सांसद एवं कामगार कर्मचारी कांग्रेस के चेयरमैन डॉ उदित राज शामिल हुए। आयोजकों ने बताया कि इस रैली की तैयारी पिछले कई महीनों से हो रही थी। विजय कुमार बंधु ने बिहार के चंपारण से मुंबई तक पूरे देश में 18 हज़ार किलोमीटर तक की यात्रा की थी।

आयोजकों में से एक डॉ0 कमल उसरी ने कहा कि इस महारैली को अनुमति देने में दिल्ली पुलिस ने काफ़ी टालमटोल किया और डेढ़ दिन पहले ही अनुमति मिल पाई, जिससे मंच तक नहीं लग पाया। विजय बंधु ने मीडिया से बात करते हुवे कहा कि ‘पूरा रामलीला मैदान देश भर से आए सरकारी कर्मचारियों से भरा हुआ था। लोगों का आना जारी था लेकिन पुलिस ने दोपहर डेढ़ बजे रैली समाप्त करने को कहा।’

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