शाहीन बनारसी
ग़ज़ा में भारी इसराइली बमबारी के बीच मानवीय मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र की आपातकालीन बैठक में हुए मतदान में भारी बहुमत से एक प्रस्तावपास किया गया। इस प्रस्ताव के समर्थन में 120 देशों ने वोट किया, जबकि इसराइल, अमेरिका समेत 14 देशों ने इस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट किया। इसके अतिरिक्त भारत सहित कुल 45 राष्ट्रों ने मतदान में भाग नही लिया।
जो 45 देश इस वोटिंग से अनुपस्थित रहे उनमें भारत भी शामिल था और इसे लेकर एआईएमआईएम के नेता ओवैसी ने मोदी सरकार की नीति पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इसके लिए सरकार को घेरा है। दक्षिण एशिया में भारत अकेला देश था जो वोटिंग से अलग रहा जबकि अन्य सभी सातों देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने ‘एक्सप्लेनेशन ऑफ़ वोट’ में ग़ज़ा में जारी संघर्ष की वजह से नागरिकों, ख़ासकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। सबसे ताज्जुब इराक की अनुपस्थिति रही। अन्य अनुपस्थित रहने वाले देशों में जर्मनी, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इटली, साउथ सूडान, ईराक, ट्यूनीशिया, ब्रिटेन, यूक्रेन, फिलीपींस समेत 45 देश थे।
इस प्रस्ताव को जॉर्डन ने पेश किया जिसे अधिकांश अरब और इस्लामिक देशों ने स्पांसर किया था जिनमें मिस्र, ओमान और यूएई के अलावा रूस का नाम भी शामिल है। जैसा उम्मीद थी, इसराइल और अमेरिका ने इस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट किया लेकिन उनके अलावा 12 देश और थे जिन्होंने विरोध में वोट डाला उनमे ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, ज़ेचिया, फिजी, ग्वाटेमाला, हंगरी, मार्शल आइलैंड, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा शामिल थे।
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