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केरल के पांच देवस्वम-गुरुवायूर, त्रावणकोर, मालाबार, कोचीन और कुडलमानिक्यम सहित लगभग 3,000 मंदिरों का प्रबंधन करने वाली संस्था त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने मंदिरों में संघ की शाखाये न लगने देने का दिया निर्देश

प्रमोद कुमार

डेस्क: त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने अपने नियंत्रण वाले सभी मंदिरों से कहा है कि वे अपने परिसरों में  आरएसएस द्वारा आयोजित सामूहिक अभ्यास या किसी अन्य गतिविधि की अनुमति न दें। इस सम्बन्ध में टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपनी खबर में लिखा है कि बोर्ड ने यहाँ तक कहा है कि इसके लिए यदि आवश्यक हो तो मंदिर समिति पुलिस की मदद ले सकती है। बताते चले कि केरल के पांच देवस्वम-गुरुवायूर, त्रावणकोर, मालाबार, कोचीन और कुडलमानिक्यम- मिलकर लगभग 3,000 मंदिरों का प्रबंधन करते हैं।

गौरतलब हो कि पिछले महीने केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि तिरुवनंतपुरम जिले में सरकारा देवी मंदिर के परिसर में किसी भी सामूहिक अभ्यास या हथियार प्रशिक्षण की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत का यह निर्देश तब आया था, जब वह आरएसएस और उसके सदस्यों द्वारा मंदिर परिसर के ‘अवैध उपयोग और अनधिकृत कब्जे’ को रोकने का आदेश देने की मांग करने वाली दो श्रद्धालुओं की याचिका का निपटारा कर रही थी।

बताते चले कि इसके पहले केरल की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार ने आरएसएस द्वारा अपने शारीरिक प्रशिक्षण के लिए मंदिर परिसर का उपयोग करने पर अपना विरोध व्यक्त किया था, जिसमें कभी-कभी हथियार भी शामिल होते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंदिर परिसर को अपनी शाखाओं और शारीरिक प्रशिक्षण के लिए उपयोग करने के लिए आरएसएस की आलोचना की थी।

अब बोर्ड द्वारा जारी सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि मंदिर में त्योहारों और अनुष्ठानों के अलावा परिसर का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए और जो अधिकारी इस आदेश का पालन करने में विफल रहेंगे, उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। मंदिर बोर्ड ने कहा कि न केवल आरएसएस, बल्कि अन्य संगठनों और राजनीतिक दलों को भी मंदिर परिसर को अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देवस्वोम आयुक्त द्वारा 20 अक्टूबर को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि मंदिर निकाय द्वारा प्रबंधित मंदिरों के परिसर के अंदर ‘नामजपा विरोध प्रदर्शन’ (मंत्रों का जाप करके विरोध प्रदर्शन) पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपायुक्तों, सहायक आयुक्तों, प्रशासनिक अधिकारियों और बोर्ड के उप-समूह अधिकारियों को ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाने और इसकी रिपोर्ट मुख्य कार्यालय को देने के लिए कहा गया है। बोर्ड ने मार्च 2021 में भी इसी तरह का निर्देश जारी किया था।

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