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कर्णाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को बड़ी राहत, आय से अधिक संपत्ति मामले की जाँच सीबीआई से न करवाने का प्रस्ताव किया कैबिनेट ने पास, पढ़े क्या है मामला

तारिक खान

डेस्क: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को आय से अधिक संपत्ति के मामले में बड़ी राहत मिल सकती है। उनकी पार्टी के नेतृत्व वाली सिद्धारमैया सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांच की मंजूरी को रद्द करने सम्बन्धी प्रस्ताव को कल गुरुवार, 23 नवंबर के दिन एक बैठक में कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

इस प्रस्ताव को कर्नाटक के गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार के समक्ष भेजा था। यानी ये लगभग तय है कि अब इस मामले की जांच सीबीआई नहीं करेगी। इससे पहले डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति वाले मामले की सीबीआई जांच को रद्द करने के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। लेकिन हाई कोर्ट ने जांच को रद्द करने के अनुरोध को खारिज कर दिया था। अदालत की दलील थी कि सीबीआई की जांच लगभग पूरी हो चुकी है इसलिए वो इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी।

कर्नाटक कांग्रेस ने मामले की जांच सीबीआई से कराने के फैसले को ‘कानून का उल्लंघन’ बताया है। राज्य के गृह मंत्रालय ने अपने प्रस्ताव में इस मामले को राज्य के पुलिस विभाग को सौंपने की मांग की है। इंडिया टुडे की खबर के अनुसार यह प्रस्ताव एडवोकेट जनरल शशिकिरण शेट्टी की सलाह के तहत लाया गया था। कर्नाटक सरकार में मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि इस मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला नियमों के अनुसार नहीं था। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सीबीआई को जांच सौंपने से पहले कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति नहीं ली थी।

बताते चले कि पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला सीबीआई को सौंप दिया था। उन्हें काफी समय तक जेल में भी रहना पड़ा। लेकिन इसी साल मई में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को हराकर सत्ता से बाहर कर दिया था। तभी से चर्चा थी कि बीजेपी के कार्यकाल में दर्ज किए गए केसों में डीके शिवकुमार को राहत मिल सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार, डीके शिवकुमार के कार्यालय का दावा है कि कर्नाटक में आय से अधिक संपत्ति के लगभग 577 मामले सामने आए, लेकिन उनमें से किसी और मामले को सीबीआई को नहीं सौंपा गया। ऐसे में सभी मामलों की जांच आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी), भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) या राज्य में लोकायुक्त को सौंपी गई थी।

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