फारुख हुसैन
डेस्क: आज 17 दिनों के बाद उत्तरकाशी में दीपावली सही मायने में मनाया गया है। सिल्क्यारा सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिक पुरे खैर-ओ-खरियत के साथ बाहर निकाल लिए गये है। इस पुरे रेस्क्यू आपरेशन में जिसकी मुख्य भूमिका थी उनमे तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) सतलुज जल विद्युत निगम (SGVNL) रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (NHICDL) टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (THCL) एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, मेडिकल टीम और भारतीय सेना के अलावा महिलाओं की टोली सहित अन्य शख्सियत भी थी।
इस पुरे रेस्क्यू आपरेशन के लिए इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स की मदद लिया गया। डिक्स इंटरनेशनल टनल विशेषज्ञ है। डिक्स इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। वे टनलिंग में अपने काम के लिए 2011 एलन नेलैंड ऑस्ट्रेलेशियन टनलिंग सोसाइटी का पुरस्कार जीत चुके हैं। उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, अर्नोल्ड ने अपनी स्कूली शिक्षा यूके से पूरी की। मोनाश युनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया से ग्रेजुएशन किया है।
इसके साथ ही एनडीआरएम के सदस्य लेफ्टिनेंट सय्यद अता हसनैन की प्रमुख भूमिका और मेहनत रही। भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सय्यद अता हसनैन एनडीएमए टीम के सदस्य है और उत्तराखंड सुरंग दुर्घटना में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की भूमिका की देखरेख कर रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन पूर्व में श्रीनगर में तैनात भारतीय सेना के जीओसी 15 कोर के सदस्य थे।
इस प्रकार के रेस्क्यू आपरेशन का दशको पुराना अनुभव रखने वाले क्रिस कपूर, माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ है। क्रिस कपूर 18 नवंबर से उत्तरकाशी में चल रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े हैं। कूपर सिविल इंजीनियरिंग बुनियादी ढांचे, मेट्रो सुरंगों, बड़ी सुरंग, डैम, रेलवे और खनन परियोजनाओं में विशेषज्ञता के साथ एक चार्टर्ड इंजीनियर हैं। वह ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। उनकी भूमिका इस रेस्क्यू में काफी महत्वपूर्ण रही।
इसके अलावा आईएएस अधिकारी नीरज खैरवाल सिल्कयारा सुरंग ढहने की घटना को लेकर नोडल अधिकारी नियुक्त किये गए थे। खैरवाल ने पिछले कई दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान संभाल रखी है। खैरवाल घंटे दर घंटे रेस्क्यू स्थल से सीएमओ और पीएमओ को अपडेट दे रहे हैं। वह उत्तराखंड सरकार में सचिव भी हैं। साथ ही इस रेस्क्यू आपरेशन मर कुछ महिला श्रमिकों के प्रयासों पर भी ध्यान देना अतिआवश्यक है। क्योकि उन्होंने जी-तोड़ मेहनत किया है। हाथों में फावड़े और बाकी निर्माण उपकरण लिए, सीमा सड़क संगठन के जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स की महिला मजदूरों ने सुरंग के नीचे एक पहाड़ी की चोटी तक जाने वाले 1।5 किमी ट्रैक के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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