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मीडिया रिपोर्ट्स में अल शिफा अस्पताल के चिकित्सको के हवाले से दावा ‘गज़ा में चल रहा ज़मीनी युद्ध में दोनों पक्षों में घमासान,’ शवो को दफनाना मुश्किल, पढ़े क्या है गज़ा में हालात

ईदुल अमीन

डेस्क: ग़ज़ा में अस्पतालों के बाहर इसराइली टैंकों की मौजूदगी से वहां के हालात पेचीदा हो गए हैं। अल जजीरा और रायटर्स ने अपने खबरों में ग़ज़ा के सबसे बड़े अस्पताल अल-शिफ़ा के अंदर मौजूद कर्मचारियों से वार्ता के अनुसार कहा है कि आसपास की गलियों में इसराइली सैनिकों और हमास के लड़ाकों के बीच भीषण लड़ाई चल रही है। दोनों ओर से हो रहे हमलों की बीच मरीज और अस्पताल में शरण लिए हुए लोग फंसे हुए हैं।

वही अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल पर इसराइली फौजे हमला कर रही है। जबकि दूसरी ओर, इसराइल ने कहा है कि उसकी सेना का इस इलाके में हमास से टकराव हुआ है, लेकिन सेना ने अस्पताल पर फायरिंग नहीं की है। इसराली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने कई बार कहा है कि हमास इस अस्पताल के नीचे बनी सुरंगों से हमले कर रहा है। जबकि अस्पताल के निदेशक और हमास ने इससे इनकार किया है।

खबरों ने बताया है कि अस्पताल के सर्जन डॉ0 मरवान अबु सादा ने कहा है कि अल-शिफ़ा के बाहर से हर पल गोलियां चलने और बमबारी के धमाके सुनाई पड़ रहे हैं। अस्पताल परिसर के चारों ओर लड़ाई होने से मर चुके मरीजों को दफनाना तक मुश्किल हो गया है। ईंधन न होने से मुर्दाघरों के रेफ्रिजरेटर भी नहीं चल रहे हैं। उन लोगों को डर है कि शवों की वजह से अस्पताल में मौजूद लोगों के बीच बीमारियां न फैल जाएं। ह्यूमन राइट्स इसराइल के डॉक्टरों ने बताया कि बिजली न होने से दो प्रीमैच्योर शिशुओं की मौत हो गई। इनका कहना है बिजली न होने से अल-श़िफा अस्पताल में भर्ती 37 और प्रीमैच्योर शिशुओं की जान ख़तरे में पड़ गई है।

ग़ज़ा में मानवीय सहायता के काम में लगी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का कहना है कि युद्ध के कारण मरीजों को समय से इलाज नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते उनके मरने का खतरा पैदा हो गया है। डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (एमएसएफ) के डिप्टी मेडिकल कोऑर्डिनेटर ने बीबीसी को बताया कि अगर युद्ध विराम नहीं हुआ तो अस्पतालों में बचे हुए सभी मरीज मर जाएंगे और ये अस्पताल कब्रिस्तान में बदल जाएंगे। रेड क्रिसेंट सोसाइटी की फलस्तीनी ब्रांच का कहना है कि उसकी टीमें 500 मरीजों और करीब 14 हजार विस्थापित लोगों के साथ ग़ज़ा के अल-कुद्स अस्पताल में फंसी हुई थीं।

इस बीच ग़ज़ा के छोटे अस्पतालों में से एक, अल-रेनतिसी को बड़े पैमाने पर खाली करा लिया गया, यहां सिर्फ कुछ ही मरीज और कर्मचारी बचे हैं। फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) का कहना है कि ग़ज़ा पट्टी में 22 लाख लोगों का रहते हैं, लेकिन युद्ध की शुरुआत के बाद से 15 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं।

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