UP

बोली टनल से निकले लखीमपुर के मंजीत की माँ- ‘17 साल की तरह बीते ये 17 दिन’

फारुख हुसैन

डेस्क: उत्तराखण्ड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे लखीमपुर खीरी ज़िले के भैरमपुर गाँव के मंजीत की माँ ने बेटे के सुरक्षित बाहर निकलने पर खुशी जाहिर की है। मंजीत की माँ चौधराइन कहती हैं, “ये 17 दिन बहुत भारी पड़े। रोज़ ही कहते थे कि आज निकल आएगा, कल निकल आएगा, लेकिन 17 दिन बीत गए। हमने तो आज दीवाली मनाई है। बेटा सुरक्षित निकल आया, अब नहीं भेजेंगे इतनी ख़तरनाक जगह।”

बताते चले कि भारत नेपाल बॉर्डर के लखीमपुर खीरी ज़िले के दुधवा टाइगर रिज़र्व से सटे भैरमपुर गाँव में मंजीत के घर पर मंगलवार रात से ही चहल पहल लगातार बनी हुई है। उनके पड़ोसी मंजीत का हाल चाल पूछने घर आ रहे हैं। वहीं पत्रकारों की गाडियां भी गाँव में लगातार आ रहीं हैं। मंजीत के घर में उनके पिता चौधरी, माता चौधराइन के अलावा दो छोटी बहनें भी हैं।

हालांकि अपने बेटे के सुरंग में फंसने की ख़बर मिलने के बाद जेवर बेचकर मंजीत के पिता सिलक्यारा चले गए। पिछले कई दिनों से वे वहीं हैं। मंजीत के सुरंग से सुरक्षित बाहर निकलने के बाद सामने आई एक तस्वीर में उनके पिता अपने बेटे का सिर चूमते दिख रहे हैं। बेहद सुकून देने वाले उस पल को उत्तराखंड के सीएम धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी निहारते दिख रहे हैं।

इधर मंजीत की माँ बीते 17 दिनों के इस भारी समय को याद करती हुई कहती हैं, ”एक-एक दिन कैसे गुजरा, ये हमें ही पता है। न नींद आई, न ठीक से खाना खाया।” वह कहती हैं, ”छह दिन बाद, टनल में ही भंडारी का काम करने वाले गाँव के ही एक लड़के ने, बताया कि मंजीत वहां फंस गया है। तो बड़े बेटे की शादी के बचे हुए जेवर गिरवी रख किराए का इंतज़ाम कर मंजीत के पिता को उत्तराखण्ड भेजा।“ मंजीत की माँ ने गहरी साँस भरकर कहा, ”बेटा सुरक्षित आ गया, तो जेवर-वेवर बनते रहेंगे।”

उत्तर प्रदेश सरकार से रोज़गार देने की मांग करते हुए मंजीत की माँ ने कहा, ”यूपी सरकार यही कोई रोज़गार का इंतज़ाम करा दे, मजबूरी में जाते हैं वहां। कोई अच्छा थोड़े लगता है इतनी दूर जा कर। एक बेटा इसी में खो गया हमारा।” मंजीत के बड़े भाई दीपू की साल भर पहले मुंबई में काम के दौरान करंट लगने से मौत हो गई थी। उनकी मां दीपू की मौत को याद करते हुए कहती हैं, ”बड़े बेटे को खो चुके हैं, इसलिए मंजीत को लेकर अधिक चिंता थी। ये 17 दिन, 17 साल की तरह बीते हैं।”

मंजीत की माँ ने उत्तराखंड सरकार और बचाव अभियान में लगी सभी सरकारी संस्थाओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार भगवान है। उन्होंने कहा कि मंजीत जब गांव आएगा, तो वे सब रामायण भंडारा करेंगे। वहीं पीटीआई से बातचीत में मंजीत के पिता ने कहा, ”हमको बहुत अच्छा लगा कि नई तरंग, नया सूरज दिखाई पड़ रहा है और इसी तरह दिखता रहे।” उन्होंने कहा, ”इतनी ख़ुशी का दिन आता रहे और हमारा कार्य चलता रहे। सबकी दुआएं आगे बढ़ती रहें, खोए सपने हमको मिलते रहे।”

Banarasi

Recent Posts

गुलरिया चीनी मिल का घूमा चक्का, नए पेराई सत्र का डीएम-एसपी ने किया उद्घाटन

फारुख हुसैन लखीमपुर खीरी: बलरामपुर चीनी मिल्स लि0 यूनिट-गुलरिया चीनी मिल के 18वें गन्ना पेराई…

6 hours ago

समेकित प्रोत्साहन योजना से बन्द सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स को संजीवनी

फारुख हुसैन लखीमपुर खीरी: प्रदेश सरकार ने प्रदेश में बन्द पड़े और घाटे में चल…

6 hours ago

बड़ागांव में फर्जी भू स्वामी के साथ मिलकर जमीन की धोखाधड़ी, मुकदमा दर्ज

ए0 जावेद वाराणसी: बड़ागांव थाना क्षेत्र के रतनपुर गांव में एक व्यक्ति की पैतृक ज़मीन…

9 hours ago

वाराणसी: गाजियाबाद में लाठीचार्ज की वकीलों ने किया घोर निंदा

शफी उस्मानी वाराणसी: गाजियाबाद में जिला जज के आदेश पर पुलिस द्वारा अधिवक्ताओं पर बर्बरतापूर्ण…

10 hours ago