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रामायण, महाभारत को सामाजिक विज्ञानं पाठ्यक्रम में शामिल करने हेतु एनसीआरटी की समिति ने किया सिफारिश

ईदुल अमीन

डेस्क: ‘इंडिया’ की जगह भारत लिखने की सिफारिश को लेकर चर्चा में आया एनसीईआरटी एक बार फिर चर्चा में है। इस बार राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक उच्च स्तरीय समिति ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल किये जाने की सिफारिश की है। यह सिफारिश सामाजिक विज्ञान के लिए पाठ्यक्रमो को संशोधित करने के लिए बनी है।

अपनी खबर में हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि सामाजिक विज्ञान के लिए स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए बनी इस समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर और पद्मश्री से सम्मानित इतिहासकार प्रोफेसर सीआई आइज़ैक ने इस बात पर जोर देते हुए कि कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है, कहा, ‘हमारा सोचना है कि किशोरावस्था में छात्रों के अंदर अपने राष्ट्र के लिए आत्मसम्मान, देशभक्ति और गौरव का निर्माण होता है।

पीटीआई ने अपने समाचार में बताया है कि समिति ने कहा है कि हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता चाहते हैं क्योंकि उनमें देशभक्ति की कमी है। इसलिए, उनके लिए अपनी जड़ों को समझना और अपने देश और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है।’ समिति द्वारा कक्षा की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखने की भी सिफारिश की गई है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इससे पहले इसी समिति ने सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ लिखने की सिफारिश की थी।

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