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फलिस्तीनी माँ ने मीडिया से कहा ‘हमारे बच्चे भूख से मर रहे है और उनका खून बह रहा है, मगर दुनिया खामोश है’

प्रमोद कुमार

डेस्क: इसराइली सेना के द्वारा गज़ा की कोई ऐसी जगह नही बची है, जहा बमबारी न की जा रही हो। चतुर्दिक अलोचनाओ के बावजूद भी गज़ा पर इजराइल की मिसाइलो ने अपना निशाना रिहायशी इलाको सहित अस्पतालों और स्कूल को बना रखा हुआ है। इस दरमियान गज़ा में 10 हज़ार से अधिक नागरिको के मौत का आकड़ा फलिस्तीनी सरकार जारी कर रही है, जिसमे बच्चो और महिलाओं की ताय्दात ज्यादा है।

आज इसराइल ने युएन द्वारा संचालित स्कूल अल-फखुरा पर विस्फोट किया। जिसमे 17 से अधिक लोगो के मौतों का दावा फलिस्तीन ने किया है। इनमे अधिकतर बच्चे है। इस विस्फोट में घायलों का इलाज इण्डोनेशियाई अस्पताल में चल रहा है। अल जजीरा ने अपनी रिपोर्ट्स में वहां के घायल बच्चो की माँ के साक्षात्कार लिए है। अल जजीरा से बात करते हुवे एक महिला ने बताया कि ‘मैं अपने बच्चों के साथ उन्हें खिलाने के लिए कुछ ताज़ा अंडे लाने की कोशिश कर रही थी। वे कई दिनों से भूखे हैं। मैं कुछ खाने का सामान जुटाने में कामयाब रहा और वापस आते समय स्कूल की इमारत पर मिसाइलें दागी गईं। मेरी बेटी को छर्रे लगे।‘

फ्री लांसर फलिस्तिया अल्काद गज़ा से रिपोर्ट कर रही है। बेहद ही दर्दनाक कई तस्वीरो के साथ फलिस्तिया अल्काद ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि आपातकालीन कक्ष के एक कोने में बैठी एक महिला ने उससे कहा कि ‘जैसे ही हमारे घरों पर गोलाबारी हुई, हमारे पास संयुक्त राष्ट्र स्कूल की इमारतों के अलावा जाने के लिए कोई जगह नहीं थी। हमने सोचा कि स्कूल अधिक सुरक्षित हो सकता है। अब, कहीं भी सुरक्षित नहीं है; स्कूलों पर मिसाइलें दागी जाती हैं।’

फलिस्तिया अल्काद ने अपने रिपोर्ट में बतया है कि उस महिला ने उससे कहा कि ‘कोई भोजन या पानी नहीं है; बिजली नहीं है; हमारे बच्चे भूख से मर रहे हैं।’ फलिस्तिया अल्काद ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उसने रोते हुए कहा ‘यहाँ तक कि कपड़े भी हमारे पास नही है।  हम अपनी जान बचाने के लिए नंगे पैर भागे। हम पर मिसाइलों की बौछार की गई; हमारे भूखे बच्चों को मार डाला गया, टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया; अन्य को गंभीर चोटें आईं। हमारे बच्चे भूख से मर रहे हैं और उनका खून बह रहा है; पूरी दुनिया देख रही है।‘

बताते चले कि गज़ा से इस समय पत्रकारिता करना जान जोखिम में डालने जैसा है। मगर फिर भी पत्रकारिता अपनी हिम्मत नही छोड़ रही है। फलिस्तिया अल्काद एक फ्री लांसर है और पिछले एक साल से वह स्टोरी राइटिंग के साथ रिपोर्टिंग भी कर रही है। अब तक गज़ा में इसराइली हमलो में 36 पत्रकारों ने अपनी जान गवाया है। जिनमे 31 फलिस्तीनी, 4 इसराइली और एक जार्डन के निवासी पत्रकार है।

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