शाहीन बनारसी
वाराणसी: भारतीय शिक्षा निकेतन स्कूल बेनीपुर में साधिका परियोजना के तहत एशियन ब्रिज इंडिया और ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान द्वारा 16 दिवसीय महिला हिंसा विरोधी पखवाड़े के पांचवें दिन अन्तर्राष्ट्रीय महिला मानवाधिकार रक्षक दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्टी में समाज में हो रहे लैंगिक भेदभाव व सत्ता पर बातचीत किया गया।
मुसा आज़मी ने बताया कि इस तरह की महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के ऊपर समाज द्वारा विभिन्न प्रकार के हमले किए जाते रहे हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए वर्ष 2006 से से पूरी दुनिया में 29 नवंबर को विशेष तौर पर महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता रक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी महिला ट्रांसजेंडर, लेस्बियन के अधिकारों की बात करती है या जेंडर जस्टिस पर काम करने वाला कोई भी व्यक्ति महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में पहचाना जाता है।
उन्होने कहा कि ऐसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं हेतु विशेष तरह के प्रावधान की आवश्यकता है। ताकि समाज को हिंसा मुक्त समाज बनाया जा सके। क्योंकि सिर्फ महिला अधिकार कार्यकर्ता ही समझ में समता और हिंसा मुक्त समाज के निर्माण की बात करती है। संगोष्ठी का संचालन नीति ने किया और स्वागत सरिता द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से दीक्षा, अनुज, शिवांगी, मन्जु, कंचन, महेन्द्र, विनोद, ओमप्रकाश, फहमीदा बानो, सुशीला, सुनिता, पुनम, निर्मला, इन्दुकला आदि लोग शामिल हुए।
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