तारिक़ आज़मी
वाराणसी: वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र स्थित दालमंडी एक बार फिर फर्जी शिकायतों से परेशान है। कुछ दिनों की इस ‘फर्जी शिकायत से मिली शांति के बाद अब एक बार फिर फर्जी शिकायती पत्र का दौर चल पड़ा है। कई बिल्डर्स के पास कभी किसी थाने अथवा पुलिस चौकी से फोन आ रहा है, तो कभी किसी अन्य अधिकारी के यहाँ से फोन आ रहा है अथवा नोटिस आ रही है। परेशान हाल बिल्डर कभी किसी थाने दौड़ रहे है तो कभी किसी चौकी। शैतान की चाशनी लगाने वाले भले मस्त हो, मगर इसका एक बुरा असर समाज में दिखाई दे रहा है।
सबसे हंसी की बाते तो तब इस फर्जी शिकायत में आपको आएगी जब आपको पता चलेगा कि इनमे से कई ऐसे बिल्डर्स है जिनके ऊपर कभी सीआरपीसी के 107/116 के तहत भी कार्यवाही नही हुई है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह शिकायती पत्र विभिन्न पोस्ट ऑफिस से पोस्ट किये गए है जिनमे एक दिल्ली का भी पोस्ट आफिस है। यहाँ तक कि इसी एक पत्र की प्रति परेशान करने के गरज से 15 विभिन्न विभागों को भेजा गया है। सबसे अधिक खलबली इलाके में तब मची जब इसी प्रकार के एक प्रति की जांच एसीपी भेलूपुर दफ्तर में शुरू हुई और इस फर्जी शिकायती पत्र में लगाये गये आरोपों की जाँच के लिए बिल्डर्स को नोटिस आई।
वही अरशद खान विक्की ने इस सम्बन्ध में कहा कि मेरा अथवा मेरे परिवार के किसी सदस्य का ऐसे किसी काम में हाथ नही है जिसका आरोप लगाया गया है। मेरे अथवा मेरे परिवार के किसी सदस्य का बिल्डर सम्बन्धित कोई काम नहीं है। कुछ लोगो ने मुझे झूठा बदनाम करने का षड़यंत्र रचा है। जाँच पूरी निष्पक्ष हो जाए, खुद सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि जाँच में पूरा मैं सहयोग कर रहा हु और जिस जिस जगह यह फर्जी शिकायती पत्र पंहुचा है सभी जाँच अधिकारी की जाँच में मैंने सहयोग किया है।
बताते चले कि लगभग 2 वर्ष पहले भी इसी प्रकार की फर्जी शिकायतों का दौर चौक थाना क्षेत्र के दालमंडी हेतु चला था। यह सभी शिकायते एकदम वैसे ही थी जैसे कभी कोतवाली थाना क्षेत्र के एक चर्म रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के खिलाफ वर्ष 2016-17 में होती थी। चौक थाना क्षेत्र से सम्बन्धित ऐसे फर्जी शिकायतों का पिटारा तत्कालीन इस्पेक्टर चौक डॉ0 आशुतोष तिवारी ने बंद करवाया था। दो वर्षो की शांति के बाद एक बार फिर ऐसे फर्जी पत्रों की बाढ़ सी आ गई है। इसका असर सिर्फ क्षेत्र में सामाजिक ताने बाने पर बुरा पड़ रहा है क्योकि सभी एक दुसरे को शक की निगाहों से देख रहे है।
मगर शायद लगता है कि इस बार ये फर्जी शिकायतों को करने वालो का भन्डाफोड़ हो जायेगा, क्योकि जिस संजय सहगल के नाम का प्रयोग इस शिकायती पत्र में लिया गया है, वह स्वयं इस मामले को लेकर अब गम्भीर है और वह कानूनी कार्यवाही शुरू भी कर चुके है। मिल रही जानकारी के अनुसार उन्होंने इस सम्बन्ध में अदालत का दरवाज़ा भी खटखटाया है। साथ ही दिल्ली पुलिस को शिकायती पत्र भेज कर विभाग से जाँच करने की मांग किया है। संजय सहगल का कहना है कि मेरे हस्ताक्षर को फर्जी तौर पर बना कर अभी कोई बड़ी घटना ऐसे लोग कर सकते है। ऐसे लोगो पर कानूनी कार्यवाही अति आवश्यक है।
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