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इसराइल हमास जंग में हुती के शामिल होने से क्या पड़ेगा युद्ध पर प्रभाव, जाने कितनी मुश्किलें हो सकती है इजराइल को पैदा

शफी उस्मानी

डेस्क: इजरायल-हमास युद्ध जारी है। हमास शासित गज़ा पर हवाई हमलो की एक पूरी श्रंखला के बाद अब इसराइल ज़मीनी कार्यवाही कर रहा है। मगर इस कार्यवाही में अब तक उसके 15 सैनिक मारे गये है। ये सभी मंगलवार को ज़मीनी कार्यवाही के दरमियान हमास के लडाको द्वारा किये गए हमले में मारे गए है। जिसके बाद इसराइल की तरफ से मरने वाले सैनिको की संख्या अब इस युद्ध में 280 पार कर गई है। इसके अलावा हिजबुल्लाह के तरफ से भी इजराइल को कड़ी चुनौती मिल रही है।

दो तरफ़ा हमले से परेशान इसराइल के लिए एक और मोर्चा अब खुल गया है, वह है यमन का हुती संगठन। इस जंग में अभी तक हिजबुल्लाह के शामिल होने की जानकारी आई थी। मगर अब यमन भी इस युद्ध में शामिल हो गया है। यमन के हूती विद्रोहियों की यमन सरकार ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए इजरायल के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया है। इसके बाद यमन की ओर से इजरायल पर कुछ मिसाइलें भी दागी गईं। इस हमले में किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर तो नही आई है। अब एक बड़ा सवाल ये है कि यमन के भी इस युद्ध में शामिल होने से नया असर क्या रहेगा? आइए समझते हैं कि यमन के शामिल होने से युद्ध पर क्या असर होगा।

दरअसल 1990 के दशक में हुसैन बदरेद्दीन अल-हूती ने हूती विद्रोह की नींव रखी थी। हुसैन यमन के जैदी शिया अल्पसंख्यक समुदाय से थे। इसका नेतृत्व हूती जनजाति करती है और ये देश में शिया मुस्लिमों का सबसे बड़ा संगठन है। 2000 के दशक में इस संगठन ने विद्रोही सेना का रूप ले लिया और यमन की सेना से कई बार युद्ध किया।2014 में हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया और अपनी सरकार बना ली।

हूती संगठन के प्रवक्ता याह्या सारी ने कहा कि उन्होंने इजरायल की ओर ‘बड़ी संख्या में’ बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन लॉन्च किए हैं और ‘फिलिस्तीनियों को जीत में मदद करने के लिए’ ऐसे और हमले होंगे।याह्या ने कहा, ‘गाजा पट्टी के लोगों के प्रति धार्मिक, नैतिक, मानवीय और राष्ट्रीय जिम्मेदारी की भावना के तहत ये हमले किए गए, जो बढ़ते मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं। यह हमला यमन के लोगों की मांग के बाद शुरू किया गया।‘

एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्ट के अनुसार, हूतियों के पास बुर्कान बैलिस्टिक मिसाइल का एक प्रकार है, जिसे ईरानी मिसाइल के आधार पर तैयार किया गया है।माना जाता है कि ये मिसाइल 1,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक हमला करने में सक्षम है।इससे पहले सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में हमला करने के लिए हूतियों ने क्रूज मिसाइल और ड्रोन का इस्तेमाल किया था।ऐसे में वो इजरायल के अंदर तक हमला कर सकते हैं।

विशेषज्ञ इसे युद्ध में ईरान के शामिल होने के तौर पर देख रहे हैं क्योंकि ईरान हूती विद्रोहियों की मदद करता रहा है।इसे ईरान के अप्रत्यक्ष तौर पर युद्ध में शामिल होने का संकेत माना जा रहा है।ईरान पर हमास और हिज्बुल्लाह की मदद करने के भी आरोप हैं और ये संगठन इजरायल से लोहा ले रहे हैं।हूतियों के युद्ध में शामिल होने से युद्ध के पूरे मध्य-पूर्व में फैलने का बड़ा खतरा है।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ईरान पर आरोप लगा चुके हैं कि वो यमन से इजरायल पर मिसाइल हमला करने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा था, ‘ईरान सटीक-निर्देशित मिसाइलों से इजरायल पर हमला करने के लिए इराक, सीरिया, लेबनान और यमन को आधार बना सकता है। यह एक बड़ा, बहुत बड़ा खतरा है।‘ इस बयान से साफ है कि इजरायल हूतियों के हमले को ईरान के हमले के तौर पर देखता है और आवश्यक कदम उठा सकता है।

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