तारिक़ खान
डेस्क: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर लगाए गए ‘कैश फॉर क्वेरी’ के आरोपों को लेकर लोकसभा की एथिक्स कमेटी की सिफ़ारिश पर उन्हें सदन से निष्काषित कर दिया गया। बताया गया था कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मोइत्रा को सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी। एथिक्स कमेटी की 104 पन्नों की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद संसद सदस्यों को इसे पढ़ने के लिए केवल दो घंटे का समय देने के बाद दोपहर साढ़े तीन बजे चर्चा होनी थी।
इस निर्णय के बाद संसद से बाहर निकलते हुए मोइत्रा ने कहा कि यह कंगारू कोर्ट है। उन्होंने कहा, ‘चूंकि मुझे संसद के अंदर बोलने की अनुमति नहीं थी, इसलिए मैं इसके बाहर बोल रही हूं। मैं अपने ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगियों का शुक्रिया अदा करती हूं, जैसा कि एथिक्स समिति की सुनवाई से पता चलता है, हम सभी सांसद लोगों के सवालों को संसद तक पहुंचाने का जरिया हैं। अगर मोदी सरकार को लगता है कि मुझे चुप कराकर अडानी मुद्दे को भुला दिया जा सकता है, तो वो गलत है।’
विवादास्पद रिपोर्ट को पहले 4 दिसंबर को निचले सदन में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन उस दिन इसे पेश नहीं किया गया। इससे पहले रिपोर्ट के कारण सदन में हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। जब सदन दोबारा शुरू हुआ, तो अध्यक्ष बिरला ने बमुश्किल दो घंटे पहले पेश की गई रिपोर्ट पर 30 मिनट की चर्चा की अनुमति दी।
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