प्रमोद कुमार
डेस्क: जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि है कि पुंछ में मारे गए तीन नागरिकों के परिवारों से मिलने के लिए सुरनकोट जाने से पहले पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया था। इन नागरिकों को बीते हफ्ते आतंकवादियों द्वारा भारतीय सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए हमले के बाद सुरक्षा बलों द्वारा हिरासत में लिया गया था, जहां कथित तौर पर पूछताछ के दौरान उनकी मौत हो गई।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, पीडीपी प्रमुख मुफ़्ती ने कहा कि उन्हें नजरबंद करके सरकार यह संदेश देना चाहती है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के पास ‘कोई आवाज नहीं है और उनके बारे में पूछने वाला कोई नहीं है।’ यह कहते हुए कि सरकार आम लोगों को सरकार के दुश्मनों के तौर पर देख रही है, जिसकी दुनिया में कोई मिसाल नहीं है। मुफ्ती ने आरोप लगाया कि पुंछ में सेना के जवानों का कथित तौर पर नागरिकों को टॉर्चर करते हुए दिखाने वाला वीडियो लोगों में डर पैदा करने के इरादे से लीक किया गया था।
ज्ञात हो कि सोशल मीडिया पर सामने आए एक 29 सेकेंड के वीडियो में कथित तौर पर सेना के जवानों को नागरिकों को पीटते, उनके कपड़े उतारते और उनके घावों और निजी अंगों में मिर्च पाउडर डालते हुए दिखाया गया है। मुफ़्ती ने कहा, ‘वे लोगों को पीटते हैं, उन्हें हिरासत में प्रताड़ित करते हैं, वीडियो बनाते हैं और उसे प्रसारित करते हैं। यह कॉमन सेंस की बात है कि कोई नागरिक सेना की हिरासत के अंदर वीडियो नहीं बना सकता और न ही उसे प्रसारित कर सकता है। वे लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि हम ये सब कर सकते हैं। वे हम सभी में कितना डर पैदा करना चाहते हैं?’
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