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सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता क़ानून की धारा 6ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई पूरी, अदालत ने फैसला रखा सुरक्षित

आनंद यादव

डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता क़ानून की धारा 6ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।  सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखने से पहले चार दिनों तक मामले की सुनवाई की थी। नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए भारतीय मूल के विदेशी प्रवासियों को, जो 1 जनवरी 1966 के बाद, पर 25 मार्च 1971 से पहले असम आए थे, को भारतीय नागरिकता पाने की अनुमति देती है।

असम के कुछ समूहों ने इस प्रावधान को यह कहते हुए चुनौती दी है कि यह बांग्लादेश से विदेशी प्रवासियों की अवैध घुसपैठ को वैध बनाता है। इससे पहले अदालत ने सरकार से ‘अवैध प्रवासियों की अनुमानित आमद’ (जो असम तक सीमित न हो) के बारे में बताने को कहा था। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने सोमवार को कोर्ट में बताया कि चूंकि भारत में अवैध प्रवासी गुप्त रूप से और चोरी-छिपे प्रवेश करते हैं इसलिए देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले ऐसे अवैध प्रवासियों का सटीक डेटा एकत्र करना संभव नहीं है।

इसने अदालत को बताया कि 2017 और 2022 के बीच 14,346 विदेशी नागरिकों को भारत से निर्वासित किया गया था। साथ ही, जनवरी 1966 और मार्च 1971 के बीच असम में प्रवेश करने वाले 17,861 प्रवासियों को नागरिकता दी गई। इसके अलावा, हलफनामे में बताया गया था कि इसी अवधि के दौरान फॉरेन ट्रिब्यूनल द्वारा 32,381 व्यक्तियों को विदेशी घोषित किया गया था और पिछले पांच वर्षों में इन ट्रिब्यूनल को कामकाज के लिए 122 करोड़ रुपये जारी किए गए।

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