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मध्य प्रदेश: फूफा मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनते ही प्रोफ़ेसर भतीजी के खंडहर बंगले का बिना इस्टीमेट शुरू हुआ मरम्मत का काम, मीडिया में आया मुद्दा तो रुका काम

प्रमोद कुमार

डेस्क: मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर प्रज्ञा यादव के जर्जर बंगले में शुरू हुआ मरम्मत कार्य सुर्खियों में है। वजह है कि इस जर्जर बंगले में जिसे रहना है, उनके फूफा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। हालांकि, प्रोफेसर प्रज्ञा यादव को यह बंगला इसी साल अगस्त में आवंटित हुआ था। मगर, आवंटन के बाद जर्जर पड़े इस बंगले की विश्वविद्यालय प्रशासन को सुध नहीं थी।

आज तक की मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव की भतीजी प्रज्ञा यादव शहडोल जिले की पंडित शंभूनाथ शुक्ल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। अगस्त 2023 में उन्हें यूनिवर्सिटी की तरफ से बंगला अलॉट किया गया था। लेकिन बंगले की हालत खस्ताहाल थी तो प्रोफेसर प्रज्ञा ने अपने रहने के लिए किराए का घर लिया। वो शहर के गंज इलाके में प्राइवेट कमरा लेकर रहनी लगीं।

अगस्त में सीएम की भतीजी प्रज्ञा यादव को यूनिवर्सिटी की तीन सदस्यीय कमेटी ने उन्हें ये बंगला अलॉट कर दिया। लेकिन बंगले की हालत जर्जर होने के कारण वो इसमें शिफ्ट नहीं हुईं। यूनिवर्सिटी प्रशासन को भी इसकी कोई सुध न रही। लेकिन जैसे ही मध्यप्रदेश में सीएम मोहन यादव के नेतृत्व वाली नई सरकार ने कमान संभाली तो यूनिवर्सिटी प्रशासन शहीद पार्क के सामने बने बंगले की मरम्मत को लेकर सीरियस हो गया।

आज तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रज्ञा से पहले इसी बंगले में यूनिवर्सिटी के इंग्लिश डिपार्टमेंट के प्रोफेसर करुणेश रहते थे। आजतक से बात करते हुए प्रोफेसर करुणेश ने बताया, ‘मैंने मई महीने में बंगला खाली कर दिया। नए घर में शिफ्ट हो गया था। बंगले की हालत पहले से ही खराब थी। लेकिन इसकी मरम्मत नहीं की गई।’

मगर सीएम बनते के साथ ही उनकी भतीजे के उस बंगले को उच्च शिक्षा विभाग ने तत्काल चमकाने के निर्देश दे दिए। इसके लिए विभाग की तरफ से हाउसिंग बोर्ड को कॉल गया। कहा गया कि बंगले की मरम्मत तत्काल कराई जाए। बात सीएम से जुड़ी थी तो आनन-फानन में रिनोवेशन का काम भी शुरू हो गया। काम में इतनी तेजी थी कि इसका बजट भी नहीं तैयार किया गया। इस मामले में हाउसिंग बोर्ड के सहायक यंत्री ने आज तक को बताया, “हमें अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी मरम्मत करने के निर्देश मिले थे। मरम्मत में कितना खर्च आएगा उसका एस्टीमेट बनाने की प्रक्रिया चल रही है।”

मामला सामने आया तो प्रशासन ने काम बंद करने के आदेश भी जारी कर दिए। हाउसिंग बोर्ड के सहायक यंत्री ने जानकारी दी कि उन्हें 21 दिसंबर को मौखिक रूप से सूचित किया गया कि ये काम बंद कर दिया जाए। रिपोर्ट के अनुसार पंडित शंभूनाथ शुक्ल यूनिवर्सिटी परिसर में 20 से ज्यादा बंगले बने हैं। 40 साल पहले बने इन बंगलों में से ज्यादातर बंगले जर्जर हो चुके हैं। इसके बावजूद अभी भी अधिकांश बंगलों में कई प्रोफेसर और उनके परिवार के लोग रहे हैं। रहने के लिए खतरनाक हो चुके इन बंगलों में से किसी की भी मरम्मत के आदेश नहीं दिए गए हैं। लिहाज़ा मुख्यमंत्री बनते ही प्रोफेसर भतीजी के बंगले की मरम्मत शुरू होने पर लोग कई सवाल खड़े कर रहे हैं।

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