शफी उस्मानी
डेस्क: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) आनंद निर्गुडे ने इस्तीफा दे दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने आयोग के कामकाज में सरकारी दखल का आरोप लगाते हुए 4 दिसंबर को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को इस्तीफा सौंपा था, जिसे 9 दिसंबर को स्वीकार कर लिया गया।
द हिंदू ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि निर्गुडे ने आयोग के कामकाज में सरकारी दखल का आरोप लगाते हुए 4 दिसंबर को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को इस्तीफा सौंपा था, जिसे 9 दिसंबर को स्वीकार कर लिया गया। इस आयोग को मराठा समुदाय के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का अध्ययन करने का जिम्मा सौंपा गया था।
पिछले सप्ताह दस सदस्यों वाले आयोग के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था और एक ने कहा था कि वे भी इस बारे में विचार कर रहे हैं। इन सभी ने भी बढ़ते सरकारी हस्तक्षेप का हवाला दिया था। एक सदस्य का कहना था कि सरकार आयोग से पूर्व-निर्धारित धारणा पर एक रिपोर्ट चाहती है कि मराठा पिछड़े हैं। यह एक स्वतंत्र आयोग है, जो डेटा और विश्लेषण के बाद ही निष्कर्ष देगा। सरकार किसी विशेष समुदाय को पिछड़े वर्ग में शामिल करने के लिए आयोग से डेटा देने के लिए कैसे कह सकती है?
इसके बाद अब तक कुल चार सदस्य इस्तीफ़ा दे चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, अब एकनाथ शिंदे सरकार एक नए आयोग का गठन कर सकती है, जिसमें मराठों को कोटा देने की प्रक्रिया में तेजी लाने में के लिए मराठा समुदाय के अधिक सदस्य शामिल हो सकते हैं।
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