आफताब फारुकी
डेस्क: जस्टिस कौल ने अपने रिटायरमेंट के दिन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के साथ एक औपचारिक बेंच के कार्यक्रम में कहा है कि दुसरे से उम्मीद रखने वाले जजों को खुद हिम्मत दिखानी होगी। उन्होंने ये भी कहा कि कभी भी किसी को अदालती कार्यवाही में खलल डालने की इजाजत उन्होंने नहीं दी है। बोले कि ये बात उनके पोते-पोतियों पर भी लागू होती है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस कौल ने कहा, ‘एक जज की निर्भीकता काफी महत्वपूर्ण है। अगर संवैधानिक संरक्षण के बाद भी हम वो न दिखा सके तो अन्य संस्थानों के लिए कैरेक्टर दिखाना काफी मुश्किल होगा। बार को ज्यूडिशरी की स्वतंत्रता के लिए खड़ा होना होगा। ज्यूडिशरी का समर्थन करना होगा और उनकी गलतियों को भी सुधारना होगा।’
जस्टिस कौल ने समाज और आम लोगों के बीच कम होती सहिष्णुता पर भी बात की। उन्होंने लोगों के बीच समझ और स्वीकृति बढ़ाने की भी पैरवी की। कहा, ‘एक समाज के रूप में हमें एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता रखनी चाहिए। इंटरनेशनल लेवल पर सहिष्णुता कम हो गई है। अब समय आ गया है कि मानव प्रजातियां एक-दूसरे के साथ रहना सीखें, ताकि दुनिया रहने के लिए एक बड़ी जगह बन सके।’
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