आदिल अहमद
डेस्क: भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बताया है कि क़तर की एक अदालत ने भारतीय नौसैनिकों को दी गयी मौत की सज़ा कम कर दी है। इन सैनिकों को दाहरा ग्लोबल नामक एक मामले में मौत की सज़ा सुनाई गई थी। ये सैनिक फिलहाल क़तर की जेल में क़ैद हैं। और ये ख़बर आने से पहले तक इनके भविष्य को लेकर आशंकाएं बनी हुई थीं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त प्रेस रिलीज़ जारी करके इस ख़बर की पुष्टि की है। विदेश मंत्रालय ने बताया है कि वह इस मामले में जारी किए विस्तृत फ़ैसले का इंतज़ार कर रहा है।
इस बयान में ये भी बताया गया है कि ‘हम शुरू से ही उन लोगों के साथ खड़े हैं। हम लगातार कांसुलर और क़ानूनी मदद पहुंचाना जारी रखेंगे। हम इस मामले को क़तारी प्रशासन के समक्ष भी उठाएंगे।’ ‘इस मामले में जारी सुनवाई गुप्त और संवेदनशील होने की वजह से इस समय इस मुद्दे पर इससे अधिक कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।’ इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 21 दिसंबर को बताया था कि ये मामला अपीलीय अदालत में है और इस मामले में तीन बार सुनवाई हो चुकी है।
इसके साथ ही 21 दिसंबर को उन्होंने बताया था कि भारतीय राजदूत को आठों पूर्व अधिकारियों से मिलने के लिए कॉन्सुलर एक्सेज़ मिल गयी है। इसके लगभग एक हफ़्ते बाद ही इन सैनिकों की सज़ा को कम करने की ख़बर आई है। विदेश मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रीफ़िंग में इस मामले पर विस्तृत बयान आने की संभावना है। भारतीय नौसेना के इन आठ पूर्व अधिकारियों की नाटकीय ढंग से गिरफ़्तारी और उसके बाद उन्हें मौत की सज़ा सुनाए जाने का सिलसिला अब से लगभग 17 महीने पहले क़तर में ही शुरू हुआ था। क़तरी ख़ुफिया विभाग ने साल 2022 के अगस्त महीने की 30 तारीख़ की रात एकाएक क़तर में ही काम करने वाले आठ पूर्व नौसैनिकों को उठा लिया।
इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद इन्हें दोहा के एक जेल में बाक़ी क़ैदियों से अलग रखा गया। लेकिन इन्हें गिरफ़्तार करने की कोई वजह नहीं बताई गयी। लेकिन स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक़ गिरफ़्तार किए गए भारतीयों पर दोहा में काम कर रहे एक सबमरीन प्रोजेक्ट की संवेदनशील जानकारियाँ इसराइल से साझा करने का आरोप है। क़तर में ऐसे आरोपों के साबित होने पर मौत की सज़ा का प्रावधान है। ये भारतीय नागरिक क़तर की नौसेना के लिए काम करने वाली एक कंपनी दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज़ के लिए काम करते थे।
ये कंपनी क़तर की नौसेना के सबमरीन प्रोग्राम से जुड़ी थी। इस प्रोग्राम का मकसद रडार से बचने में सक्षम हाइटेक इतालवी तकनीक पर आधारित सबमरीन हासिल करना था। क़तर ने बाद में इस कंपनी को बंद करके इसके लगभग 70 कर्मचारियों को मई, 2023 के अंत तक देश छोड़ने का आदेश दिया। इस कंपनी में काम करने वालों में ज़्यादातर कर्मचारी भारतीय नौसेना के पूर्व कर्मचारी थे।
ताज़ा मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक, कतर की अपीलीय अदालत ने गुरुवार (28 दिसंबर) को उनकी मौत की सजा को अलग-अलग अवधि के कारावास में बदल दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में अदालत के फैसले का जिक्र करते हुए बताया कि कतर में भारतीय राजदूत विपुल के साथ पूर्व नौसेना अधिकारियों के परिवार के सदस्य भी उस समय अपीलीय अदालत में मौजूद थे, जब आदेश जारी किया गया।
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