तारिक़ आज़मी
वाराणसी: मथुरा ईदगाह का कमिश्नर सर्वे आदेश के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने उस सर्वे को रोकने से इंकार कर दिया है। वही दूसरी तरफ तमाम बयानों के दौर जारी हुवे और मीडिया के हर पर्दे पर मथुरा ईदगाह मामला दिखाई देने लगा है। इस बीच ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेज़मियां मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने आज शुक्रवार की सुबह ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे से सम्बंधित टीम की कुछ तस्वीरे सोशल मीडिया के माध्यम से साझा करते हुवे कहा है कि ‘हमने कानून की सदैव पासदारी की है और करते रहेंगे लेकिन तशतरी में सजाकर नहीं देंगे।
एसएम यासीन ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि ‘हमें बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद के बारे एएसआई सर्वे के बारे में जिला जज महोदय के आदेश की याद आ गई। हम हज से आकर लखनऊ से बनारस आ रहे थे। रास्ते में जैसे ही खबर मिली कि तभी बनारस, इलाहाबाद और दिल्ली के हमारे वकील साहबान ने तैयारी शुरू कर दी। आर्डर की कापी किसी को प्राप्त नहीं हुई थी, परन्तु एएसआई टीम के आने और अगले दिन एएसआई द्वारा सर्वे आरंभ करने के बारे में प्रशासन ने जानकारी दे दी।’
एसएम यासीन ने लिखा है कि ‘हमें समय नहीं दिया जा रहा था, बहरहाल हमने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल कर दी। लेकिन उधर एएसआई पूरे भारत से टीम गठित कर बनारस आ गई। और नियम विरुद्ध निम्न औजार लेकर मस्जिद मे पहुंच गई। फोटो देखें…..!, इलाहाबाद से कुछ राहत तो मिली। अगले दिन हम सर्वोच्च न्यायालय मे अपील कर चुके थे। सबूत के साथ। वहां से केवल साइंटिफिक सर्वे का आदेश पारित हुआ। ‘No Invasive’ का आदेश था।
एसएम यासीन ने लिखा कि ‘हमने रोका मीटिंग, पत्राचार हुआ प्रशासन एएसआई का पक्षधर था। अंत में हम सब ने निर्णय लिया कि बलपूर्वक विरोध न कर केवल न्यायालय का सहारा लिया जाए और ऐसा ही हुआ। हम लोग सबूतों के साथ न्यायालय में हैं। एएसआई ने प्रशासन की मदद से अपने शपथ-पत्र, न्यायालयों के आदेश के विपरीत काम किया और हम कानूनी चाराजूइ में मशगूल थे और रहेंगे। कुछ तसवीरें पेश हैं, कौन कानून के दायरे में है ? और कौन कौन कानून का उल्लंघन कर रहा ? आप सभी दोस्त-दुशमन गौर करें। न्यायालय तो संज्ञान लेगा ही।‘ अंत में उन्होंने लिखा कि ‘हमने कानून की सदैव पासदारी की है और करते रहेंगे लेकिन तशतरी में सजाकर नहीं देंगे। यही बात मथुरा के सेक्रेट्री से भी रात में कहा है। बकौल मेराज फैजाबादी के कि “जंग लाज़िम अगर है तो, लश्कर नहीं देखे जाते।” आगे आगे देखते जाइए अभी तो शुरुआत है।‘
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