तारिक़ आज़मी
डेस्क: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट इस विवादास्पद मामले में निर्णायक सबूत नहीं है। विरोधी पक्ष ने ऐसा करके समाज में अराजकता और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। बताते चले कि वादिनी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद के पहले वहाँ भव्य मंदिर था।
उन्होंने कहा कि ‘हमें विश्वास है कि बाबरी मस्जिद मामले में पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट का जो परिणाम हुआ था वही परिणाम इस रिपोर्ट का भी होगा। हमें खेद है कि हमारे महत्वपूर्ण संस्थान संप्रदायवादियों के हाथों का खिलौना बनकर अपना महत्व खो रहे हैं।’
बोर्ड के प्रवक्ता ने आगे कहा कि इससे पहले बाबरी मस्जिद मामले में भी पुरातत्व विभाग ने बाबरी मस्जिद के नीचे एक भव्य मंदिर होने का दावा किया था लेकिन जब बोर्ड की ओर से देश के दस प्रमुख पुरातत्वविदों ने अदालत में परीक्षण करके उसकी पोल खोल दी और इसके उलट खुदाई में मिली चीज़ों से बाबरी मस्जिद के समर्थन में दलीलें दीं तो इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस रिपोर्ट को विचार करने लायक़ नहीं माना और सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणियों में कहा कि खुदाई में मिली वस्तुएं बाबरी मस्जिद के निर्माण से चार शताब्दी पहले की हैं इसलिए मौजूदा रिपोर्ट पर कोर्ट का अंतिम फैसला क्या होगा ये तो समय ही बताएगा। हमें विश्वास है कि बाबरी मस्जिद मामले में पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट का जो परिणाम हुआ था वही परिणाम इस रिपोर्ट का भी होगा। हमें खेद है कि हमारे महत्वपूर्ण संस्थान संप्रदायवादियों के हाथों का खिलौना बनकर अपना महत्व खो रहे हैं।
डॉ0 सैयद क़ासिम रसूल इलियास ने आगे कहा कि बोर्ड की क़ानूनी समिति और हमारे वकील इस रिपोर्ट की विस्तार से जांच करेंगे और इसे मस्जिद के अंजुमन प्रशासन द्वारा अदालत में पेश किया जाएगा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पूरे मामले पर नज़र रख रहा है। बोर्ड ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन के साथ भी संपर्क में है। बोर्ड की लीगल कमेटी भी पूरे मामले की समीक्षा करती रहती है। अल्लाह ने चाहा तो इस मामले में हर संभव प्रयास किया जाएगा। मुसलमानों को उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए और दुआ करते रहना चाहिए और सर्वशक्तिमान अल्लाह से माफ़ी मांगनी चाहिए वही कारणों का रचियता है। हम देश की जनता से भी अपील करते हैं कि कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक इस रिपोर्ट पर कोई राय न बनाएं।
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