मिस्बाह बनारसी
वाराणसी: वाराणसी की ज़िला अदालत ने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक न किये जाने की मांग को लेकर फैसले की अगली तारीख़ 24 जनवरी की दी है। इस मामले की सुनवाई करने के लिए गुरुवार और शुक्रवार को तारीख मुक़र्रर की गई लेकिन कोर्ट ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। कोर्ट ने आज सभी अलग-अलग प्रार्थना पत्रों पर अपनी टिप्पणी दी है।
उन्होंने अदालत से प्रार्थना की थी कि मछलियों की सुरक्षा के साथ हौज की साफ़ सफाई की अनुमति मिलनी चाहिए। इस पर मंदिर पक्ष ने वुजूख़ाने की सफाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल प्रार्थना पत्र की प्रति अदालत को सौंपने के बाद आपत्ति जताते हुए कहा था कि अंजुमन को अब वुजूख़ाने की सफाई करने का कोई अधिकार नहीं है। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था आज इस मामले में भी अदालत ने अगली तारीख 24 जनवरी 2024 नियत की है।
एएसआई ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा कि उसने चार अगस्त से दो नवंबर तक ज्ञानवापी में हुए सर्वे की सीलबंद रिपोर्ट बीते 18 दिसंबर को अदालत में प्रस्तुत कर दी थी। इसी बीच पं0 सोमनाथ व्यास और अन्य लोगों द्वारा स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर से 1991 में ज्ञानवापी में मंदिर निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने को लेकर दाखिल एक पुराना मुकदमा जो सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में लंबित है।
इसी मुकदमे से संबंधित याचिका की सुनवाई करते हुए हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एएसआई को ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट को वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा था कि ज़रूरत पड़ने पर फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ज्ञानवापी परिसर में एक बार फिर सर्वे करवाने का आदेश दे सकती है। इस पर बुधवार को एएसआई द्वारा कहा गया कि यदि ऐसा होता है तो उन्हें ज्ञानवापी में आगे सर्वे करने में दिक्कत आ सकती है। साथ ही इस रिपोर्ट को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट को सौंपने में भी समय लगेगा लिहाजा अदालत को चार सप्ताह तक रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने का आदेश देना चाहिए।
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