ईदुल अमीन
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक नाबालिग रेप सर्वाइवर का टू-फिंगर टेस्ट करने के लिए पालमपुर सिविल अस्पताल के डॉक्टरों को फटकार लगाई है। अदालत की पीठ ने यह मानते हुए कि नाबालिग के रेप मामले की मेडिको-लीगल केस (एमएलसी) रिपोर्ट ‘अपमानजनक’ थी, इसकी जवाबदेही तय करने के मकसद से राज्य सरकार से उन डॉक्टरों के खिलाफ जांच करने को भी कहा जिन्होंने बच्ची की जांच की थी।
एनडीटीवी के अनुसार, अदालत ने राज्य सरकार को दोषी डॉक्टरों से राशि वसूलने के बाद बच्ची को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। अदालत की पीठ ने यह मानते हुए कि नाबालिग के रेप मामले की मेडिको-लीगल केस (एमएलसी) रिपोर्ट ‘अपमानजनक’ थी, इसकी जवाबदेही तय करने के मकसद से राज्य सरकार से उन डॉक्टरों के खिलाफ जांच करने को भी कहा जिन्होंने बच्ची की जांच की थी।
अदालत ने पाया कि एमएलसी ‘पीड़िता की निजता पर आघात करने वाला’ था और इस तरह का टू-फिंगर टेस्ट उसकी शारीरिक और मानसिक गरिमा का उल्लंघन था। कोर्ट ने सभी चिकित्सा पेशेवरों को ऐसा टेस्ट न करने का निर्देश देते हुए चेतावनी दी कि ऐसा करने वाले डॉक्टरों पर मुकदमा चलाया जाएगा।
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