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क्या बुल्डोज़र वापस करेगा अदनान का घर?: उज्जैन के धार्मिक जुलूस पर कथित रूप से थूकने के आरोपी अदनान को मिली ज़मानत, शिकायतकर्ता और चश्मदीद मुकरे अदालत में अपने बयान से, अभियोजन ने भी नही किया मामले का समर्थन

तारिक़ खान

डेस्क: 15 दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 18 वर्षीय आरोपी अदनान मंसूरी को 75,000 के पर्सनल बॉन्ड पर जमानत दे दिया है। खबर आपको पुरानी भले लगे मगर सवाल बहुत ही माकूल है। आरोपी अदनान 17 जुलाई 2023 से जेल में था। उसे करीब 115 दिन बाद जमानत मिली। है। ये मामला 17 जुलाई 2023 का है, जब कथित तौर पर एक धार्मिक जुलूस- ‘महाकाल की सवारी’- पर ‘थूकने’ के आरोप में एक वयस्क और दो नाबालिग बच्चों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।

उज्जैन पुलिस ने सावन लोट की शिकायत पर IPC की पांच धाराओं- 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), 153-ए (पूजा स्थल पर किया गया अपराध), 296 (धार्मिक सभा को परेशान करना), 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए उकसाने वाले बयान) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत मामला दर्ज किया था।

इस मामले में 19 जुलाई को जिला प्रशासन ने गाजे-बाजे के साथ आरोपी अदनान के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नोटिस चिपकाए जाने के करीब एक घंटे बाद ही प्रशासन ढोल-नगाड़ों के साथ बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंच गया था। कार्रवाई के कुछ घंटों बाद, मध्य प्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने एक बयान जारी करते हुए कहा था, ‘जो शिव को अपमानित करेगा, उसे तांडव के लिए भी तैयार रहना चाहिए। ये शिवराज सरकार है। यहां न सिर्फ अपराधियों पर कार्रवाई होती है, बल्कि इतनी सख्त होती है कि उनके हौसले तक टूट जाएं।’

मध्य प्रदेश स्थित उज्जैन के इस मामले में शिकायतकर्ता और चश्मदीद अपने बयान से मुकर गए और अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया। जिसके बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने आरोपी को जमानत दी।  आरोपी की तरफ से वकील विवेक सिंह ने पैरवी की। उन्होंने आरोपी को बेकसूर बताते हुए कहा कि मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट पेश की जा चुकी है। इसके अलावा शिकायतकर्ता सावन लोट और चश्मदीद अजय खत्री के बयान भी हो चुके हैं। इन दोनों ने कोर्ट में घटना का समर्थन नहीं किया है। सरकारी वकील वर्षा सिंह ठाकुर ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि यह सांप्रदायिक सद्भाव के लिए गंभीर किस्म का अपराध है और याचिकाकर्ता की पहचान सीसीटीवी फुटेज से भी हुई है।

हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जस्टिस अनिल वर्मा ने कहा, ‘शिकायतकर्ता सावन लोट ट्रायल कोर्ट के सामने पूछताछ में मुकर गया और अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं किया और यहां तक ​​कि उसने अपनी FIR के प्रासंगिक हिस्से से भी इनकार कर दिया। वहीं प्रत्यक्षदर्शी अजय खत्री भी मुकर गया और अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं किया। जांच अधिकारी द्वारा आइडेंटिफिकेशन परेड नहीं करवाई गई, जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दायर किया गया है, आवेदक (आरोपी) की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है, उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, मैं आवेदक को जमानत पर रिहा करना उचित समझता हूं।’

अदनान के वकील देवेन्द्र सेंगर ने बताया कि, ‘शिकायतकर्ता और चश्मदीद ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने पुलिस के दबाव में हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने घटना नहीं देखी और न ही किसी को व्यक्तिगत रूप से पहचानते हैं।’ शिकायतकर्ता सावन लोट ने कोर्ट में अपने बयान में कहा, ‘थाने पर बहुत सारे पुलिस वाले थे और मुझसे कहा कि कुछ कागजों पर हस्ताक्षर कर दो, तो मैंने हस्ताक्षर कर दिए। पुलिसवालों ने मुझसे किस बात के हस्ताक्षर करवाये, मुझे नहीं बताया था। यह कहना गलत है कि मैंने अपने पुलिस कथन में यह बात बताई थी कि जैसे ही महाकाल बाबा की सवारी टंकी चौक सवारी के पास आने लगी तो सुपर गोल्ड बेकरी के पास लगी बिल्डिंग के टैरेस पर से तीन अज्ञात व्यक्ति बाबा की पालकी पर थूकने लगे थे।’

वहीं चश्मदीद अजय खत्री ने अपने बयान में कहा कि घटना के बारे में मुझे व्यक्तगत जानकारी नहीं है, न घटना मैंने सुनी न देखी, न किसी ने बताई। मैं तो भीड़ देखकर वहां रुक गया था। पुलिस खाराकुआं द्वारा उक्त मामले में कई लोगों से अलग-अलग खाली पेपरों पर हस्ताक्षर करवा लिए थे। अलग-अलग लोगों से हस्ताक्षर करवाकर पुलिस ने क्या लिख लिया हमें इस बात की जानकारी नहीं है।

इसके पहले 19 सितंबर 2023 को हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने ही इस मामले में दोनों नाबालिग आरोपियों को भी जमानत दी थी। जस्टिस वर्मा ने आरोपियों को जमानत देते हुए कहा था कि ‘अपीलीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश और किशोर बोर्ड द्वारा पारित आदेश कानून की दृष्टि से टिकाऊ नहीं हैं और दोनों निचली अदालतों ने दोनों आदेशों को पारित करने में क्षेत्राधिकार संबंधी त्रुटि और अवैधता की है। ऐसी कोई संभावना नहीं है कि अगर याचिकाकर्ताओं को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो उनकी रिहाई उन्हें किसी ज्ञात अपराधी के साथ जोड़ देगी या उन्हें नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक खतरे में डाल देगी या उनकी रिहाई न्याय के उद्देश्यों को विफल कर देगी।’

अब सवाल ये उठता है कि जिस बैंड बाजे के साथ मध्य प्रदेश पुलिस अदनान के घर बुलडोज़र लेकर पहुची और उसके घर को ज़मीदोज़ कर दिया गया, उस अदनान के परिवार का क्या कसूर था। आखिर जब शिकायतकर्ता का अदालत में ऐसा बयान है तो फिर मामले में पुलिस की भूमिका ही संदेह के घेरे में आ जाती है। बात ये भी है कि शिकायतकर्ता के पक्षद्रोही होने के बाद अब जो मामला सामने है उसके बाद क्या अदनान के परिजनों को उनका वह मकान वही बुलडोजर वैसे ही गाजे बाजे के साथ वापस कर सकता है?

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