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उत्तराखंड सरकार द्वारा सामान नागरिक संहिता विधेयक विधान सभा से पेश होने से पहले मुस्लिम समाज ने सडको पर उतर कर जताया विरोध, निकाला पैदल मार्च

मो0 कुमेल

डेस्क: उत्तराखंड की विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश होने से ठीक पहले इसका विरोध शुरू हो गया है। देहरादून में उत्तराखंड सरकार के पूर्व राज्यमंत्री याक़ूब सिद्दीकी के नेतृत्व में हजारो प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा की तरफ़ कूच किया। प्रदर्शनकारी यूसीसी को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। मंगलवार को यह विधेयक विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा।

विधानसभा में संख्या बल को देखते हुए इस विधेयक का पास होना तय माना जा रहा है। नुमाइंदा ग्रुप ऑफ़ उत्तराखंड के संयोजक याक़ूब सिद्दीकी 2002 से 2007 तक उत्तराखंड में राज्यमंत्री (दर्जा प्राप्त) रहे हैं। उनके नेतृत्व में मुस्लिम समाज के लोगों ने समान नागरिक संहिता वापस लेने की मांग के साथ विधानसभा कूच किया।मीडिया से बात करते हुवे उन्होंने कहा कि वह शरीयत बचाने के लिए सड़क पर उतरे हैं।

वह कहते हैं कि अगर शरीयत ख़त्म हो जाएगी तो मेरा ईमान ख़तरे में आ जाएगा। वह यह भी कहते हैं कि उनसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी तो मज़हबी नेताओं की है। वहीं, मुस्लिम सेवा संगठन के उपाध्यक्ष आकिब कुरैशी कहते हैं कि अभी तक इस ड्राफ़्ट की बातें साफ़ नहीं हैं। एक बार यह सामने आ जाएं तो फिर देखेंगे कि इसमें क्या है। वह कहते हैं कि अगर यह शरीयत और क़ुरान के ख़िलाफ़ होगा तो ज़रूर इसका विरोध करेंगे, सड़क पर उतरकर विरोध करेंगे, जब तक साफ़ नहीं है, तब तक विरोध का क्या मतलब है?

बताते चले कि उत्तराखंड सरकार की ओर से बनाई गई विशेषज्ञों की समिति ने समान नागरिक संहिता या यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) पर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करना मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सबसे प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है। 2022 में विधानसभा चुनाव प्रचार के अंतिम दिन उन्होंने यह घोषणा अचानक करते हुए कहा था कि बीजेपी जीती तो राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी।

हालांकि पुष्कर सिंह धामी अपनी परंपरागत सीट खटीमा से चुनाव हार गए थे लेकिन बीजेपी ने उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाना तय किया था और तीन महीने बाद वह चंपावत से उपचुनाव में जीतकर विधानसभा में आए। रविवार को इस ड्राफ़्ट को कैबिनेट की मंज़़ूरी मिल गई। इसे अब मंगलवार यानी 6 फरवरी को सदन के पटल पर रखा जाएगा। बताया जा रहा है कि इसमें बहुविवाह पर रोक लगाने और सभी धर्मों में शादी की न्यूनतम उम्र समान करने जैसे सुझाव दिए गए हैं।

उत्तराखंड के जनजातीय समुदायों को इससे बाहर रखा गया है। विधानसभा में दलगत स्थिति देखते हुए इस विधेयक का पास होना तय माना जा रहा है। बता दें कि 70 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 47, कांग्रेस के 19 और चार अन्य विधायक हैं। यह विधेयक कानून बनता है तो उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य हो जाएगा।

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