आफ़ताब फारुकी
डेस्क: भारत के दिग्गज वकील और संवैधानिक क़ानून के विशेषज्ञ फली एस नरीमन का बुधवार को निधन हो गया। 95 साल के नरीमन का निधन उनके दिल्ली स्थित आवास पर हुआ। साल 1993 के मशहूर ‘द सेकंड जजेज केस’ में नरीमन वकील रहे और ये केस जीता। इसी के बाद जजों की नियुक्ति के लिए चल रहा वर्तमान कॉलेजियम सिस्टम लाया गया था। साल 1972 में उन्हें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था, हालांकि 1975 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अपालकाल के फ़ैसले के विरोध में इस्तीफ़ा दे दिया था।
नरीमन 1999 से 2005 के बीच राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। उन्होंने कई किताबें लिखी है। जिनमें बीफ़ोर मेमरी फ़ेड्स, गॉड सेव द ऑनरेबल सुप्रीम कोर्ट और द स्टेट ऑफ़ द नेशन शामिल हैं। हाल ही में उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की कड़ी निंदा की थी। फली सैम नरीमन सिविल लिबर्टी के बड़े समर्थक थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़ली एस नरीमन की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपना जीवन न्याय को आम लोगों के लिए सहज बनाने में समर्पित कर दिया। पीएम ने एक्स पर लिखा- “ फ़ली नरीमन जी सबसे उत्कृष्ट क़ानूनविद में से थे। उन्होंने अपना जीवन आम नागरिकों के लिए न्याय आसान बनाने में समर्पित कर दिया। उनके निधन की ख़बर से दुखी हूं। उनके परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। ”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी उनकी मौत पर दुख जताते हुए लिखा- ” फ़ली नरीमन के योगदान ने न केवल ऐतिहासिक केसों को आकार दिया है, बल्कि हमारे संविधान की पवित्रता और नागरिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए क़ानूनी जानकारों की पीढ़ियों को भी प्रेरित किया है। ईश्वर करे कि उनकी प्रतिबद्धता हमेशा हमारा मार्गदशन करती रहे।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी फ़ली नरीमन के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने एक्स पर लिखा- ” कानून के प्रख्यात और वरिष्ठ अधिवक्ता, नागरिक स्वतंत्रता के प्रबल समर्थक फ़ली एस नरीमन का निधन क़ानूनी व्यवस्था के लिए एक बड़ी क्षति है। पद्म विभूषण पाने वाले नरीमन अपने सिद्धांतों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता सराहनीय रही है। उनके परिवार के प्रति मैं अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। “
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने उनकी मौत पर दुख प्रकट करते हुए लिखा- ” फ़ाली एस नरीमन इस दुनिया से चले गए। वो बॉम्बे हाईकोर्ट के वकीलों की उस आखिरी पीढ़ी का हिस्सा थे जिन्होंने देश में संवैधानिक क़ानून को तराशा। ऐसी आवाज़ जो हमेशा सेक्युलर भारत के पक्ष में उठती रही, हमेशा स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए उठती रही। उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।”
वरिष्ठ वकील प्रशात भूषण ने नरीमन के लिए लिखा- “मैं उनसे जल्द मिलने की तैयारी कर रहा था वो हमारे संविधान और नागरिक स्वतंत्रता के एक मज़बूत स्तंभ थे। उनका इस तरह चले जाना देश के लिए, कानून से जुड़े लोगों के लिए ये बड़ा नुकसान है। “
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