तारिक़ आज़मी
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा की अनुमति देने सम्बन्धित जिला जज के आदेश की मुखालफत करती ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेजामियाँ मसाजिद कमेटी के याचिका पर आज हाई कोर्ट इलाहाबाद में सुनवाई हुई। आज की सुनवाई के बाद अदालत ने इसके ऊपर सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तारीख मुक़र्रर किया है।
इस बीच ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने जिसको व्यास जी का कमरा कह कर संबोधित किया गया है से सम्बन्धित एक तस्वीर वायरल हुई। तस्वीर को एक अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ पोर्टल के द्वारा प्रकशित कर दावा किया गया है कि यह तस्वीर में पूजा संपन्न करवाने वाले वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा है। इस तस्वीर के प्रकाशन होने के बाद आयुक्त का कोई भी बयान सामने नहीं आया है। बेशक इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी का बयान सामने आया है।
ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेजामियाँ मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा कि ‘कल दिन भर एक तस्वीर भारत ही नही विश्व के अनेक भागों में चर्चा का विषय रही है कि भारत के शहर वाराणसी की ज्ञानवाफी मस्जिद की सुरक्षा हेतु स्थापित बैरिकेडिंग जो सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल शपथ-पत्र से भी साबित थी उसको 31 जनवरी 2024 को अपनी विदाई से कुछ घंटे पूर्व एक जिला जज ने हटाने और मस्जिद के नीचे दक्षिणी तहखाना में सात दिन में पूजा पाठ कराने का आदेश पारित किया। वाराणसी के अधिकारीगण ने सर्टिफाइड कापी मिले बगैर ही रात के अंधेरे में बैरिकेडिंग कटवाया, मूर्तियां बाहर से अन्दर ले गए और पूजा-पाठ श्री शास्त्री द्वारा सम्पन्न करायागया।‘
उन्होंने कहा कि ‘इन सब का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि इस जघन्य अपराध में बनारस में तैनात सभी चपरासी (सेवादार) से लेकर मंडलायुक्त, डीएम, सीपी, डीसीपी, सीआरपीएफ के लोग, मैजिस्ट्रेट, पूर्व कार्यपालक अधिकारी सुनिल वर्मा, मौजूदा कार्यपालक मिश्रा, डीओ, सीओ, एसीपी और पुलिस के सिपाही इस जघन्य अपराध के साक्षी ही नहीं भागीदार भी बने। इन सब ने पूरे अल्पसंख्यक समुदाय का विश्वास खो दिया मस्जिद एक झटके में असुरक्षित हो गई। अब करोड़ों के खर्च के बाद सुरक्षा का नाटक हो रहा है।‘
उन्होंने लिखा कि ‘इस पूजा पाठ का सब से दिलचस्प मंजर मंडलायुक्त के सुपुत्र का सम्मिलित होना है। यह सब हमने सुना था लेकिन एक वरिष्ठ पत्रकार श्री वेनकिटेश रामकृष्णन ने जो कि इस समय दुबई में हैं उनके द्वारा भेजे गए लेख और सम्बन्धित फोटो से रूबरू हुए। इन्साफ ने 31जनवरी की रात में दम तोड़ दिया, विश्वास का जनाज़ा निकलते देखा। हमारी आह ज़रूर रंग लाएगी इंशाअल्लाह। सम्पूर्ण कहानी नीचे दी गई तस्वीर सच साबित कर रही है।’
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