आफताब फारुकी
डेस्क: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन0 बीरेन सिंह ने कहा कि 1961 के बाद मणिपुर में प्रवेश करने और बसने वाले लोगों की पहचान की जाएगी और उन्हें राज्य से निर्वासित किया जाएगा। बताते चले कि इनर लाइन परमिट के लिए उन लोगों को राज्य में प्रवेश करने और रहने के लिए विशेष परमिट लेने की जरूरत होती है जो राज्य के डोमिसाइल के नहीं हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, राजधानी इंफाल में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि इनर लाइन परमिट सिस्टम (आईएलपी) के लिए सभी निवासियों की मूल स्थिति निर्धारित करने के लिए आधार वर्ष 1961 के बाद राज्य में आने वाले किसी भी व्यक्ति को निर्वासित किया जाएगा। ज्ञात हो कि इनर लाइन परमिट के लिए उन लोगों को राज्य में प्रवेश करने और रहने के लिए विशेष परमिट लेने की जरूरत होती है जो राज्य के डोमिसाइल के नहीं हैं।
अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के बाद मणिपुर देश का चौथा राज्य था जहां 1873 के बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन के तहत आईएलपी शासन लागू था। पूर्वोत्तर राज्य में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के विरोध के बीच दिसंबर 2019 में केंद्र ने आईएलपी के दायरे को मणिपुर तक बढ़ा दिया था। बताया गया था कि सीएबी उन राज्यों में लागू नहीं होता, जो आईएलपी के अंतर्गत आते हैं।
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