अनुराग पाण्डेय
डेस्क: पश्चिम बंगाल के सफारी पार्क में रखे गए शेर और शेरनी के नाम अकबर और सीता रखे जाने के मामले में हाई कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुवे दोनों के नाम बदलने का हुक्म पश्चिम बंगाल सरकार को दिया है। बताते चले कि शेरनी का नाम सीता रखे जाने पर आपत्ति जताते हुए विश्व हिंदू परिषद ने हाई कोर्ट में केस दायर किया था।
वहीं बंगाल सरकार ने शेरों के नामकरण का फैसला त्रिपुरा सरकार का बताया। बंगाल सरकार के वकीलों ने कहा कि इन शेरों का नाम त्रिपुरा में रखा गया था। इसके बाद इन्हें सिलीगुड़ी में ट्रांसफर कर दिया गया था। हालांकि अदालत ने कहा कि भले ही नाम त्रिपुरा में रखा गया था, लेकिन अब इन्हें बदला जाए। जज ने कहा, ‘देश का बहुसंख्यक समाज देवी सीता की पूजा करता है। मैं शेर का नाम अकबर रखने के भी पक्ष में नहीं हूं। वह एक योग्य शासक थे।’ आप उन शेरों का नाम बिजली या ऐसा कुछ भी रख सकते हैं।
बता दें कि विश्व हिंदू परिषद ने इस मामले में अर्जी दाखिल करते हुए आरोप लगाया है कि इस तरह के नामकरण से हिंदुओं की भावनाएं आहत होती हैं। इसके अलावा धर्म के अधिकार का भी इस तरह के नामकरण से उल्लंघन होता है। वीएचपी ने अदालत से मांग की है कि शेरनी का नाम सीता की बजाय कुछ और रख दिया जाए। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने बंगाल सरकार को आदेश दिया है कि वह दोनों शेरों के नाम बदलने के लिए तत्काल कदम उठाए।
इससे पहले बुधवार को अदालत ने बंगाल सरकार से पूछा था कि आखिर कब इन शेरों का नामकरण हुआ था और किसने किया था। इस पर बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि यह नामकरण राज्य में नहीं हुआ बल्कि त्रिपुरा में हुआ था और वहां से इनको यहां लाया गया था।
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