तारिक आज़मी
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के विवादों में रहे मेयर चुनाव को लेकर सोमवार को अहम आदेश दिया। कोर्ट ने सोमवार की सुनवाई के दौरान चुनाव के पीठासीन अधिकारी रहे अनिल मसीह से कड़े सवाल पूछे। अदालत ने मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सारे बैलट पेपर पेश करने का आदेश दिया था। जिसके बाद पेश बैलेट पर जिन मतपत्रो को अमान्य करार दिया गया था उसको मान्य करते हुवे मतगणना करवाया और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को विजई घोषित किया।
कोर्ट के आदेश पर मसीह सोमवार की सुनवाई के दौरान पेश हुए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी गई कि मसीह चंडीगढ़ महापालिका के नामित सदस्य हैं और वो बीजेपी से जुड़े हुए हैं। दरअसल मसीह भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्य है। ये सारे प्रकरण के बाद भाजपा ने उनको पार्टी के बाहर का रास्ता दिखा कर अपना पल्ला भले ही अब झाड लिया हो मगर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मसीह से कई कड़े सवाल पूछे।
लाइव लॉ के मुताबिक, चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मिस्टर मसीह, मैं आपसे एक सवाल पूछता हूं। अगर आपने सच नहीं बताया तो आपके ख़िलाफ़ केस चलाया जाएगा। ये एक गंभीर मामला है। आप कैमरे की तरफ देखते हुए क्या कर रहे थे, जब आप बैलेट पेपर पर क्रॉस (X) बना रहे थे? आप निशान क्यों बना रहे थे ?’ इस पर मसीह ने कहा, ‘वोटिंग के बाद मुझे बैलेट पेपर पर दस्तख़्त करने थे। जो बैलेट पेपर रद्द हो गए थे, उन्हें अलग करना था।’ चीफ़ जस्टिस ने पूछा, ‘वीडियो में साफ़ नज़र आता है कि आप ख़ास बैलेट पेपर क्रॉस (X) का निशान बना रहे थे। क्या आपने ख़ास बैलेट पेपर पर क्रॉस (X) का निशान बनाया?’ इस सवाल पर मसीह ने कहा, ‘जी हां।’
चीफ़ जस्टिस ने पूछा, ‘कितने बैलेट पेपर्स पर निशान बनाए गए?’ मसीह ने कोर्ट को बताया, ‘आठ बैलेट पेपर’। चीफ़ जस्टिस ने फिर पूछा, ‘आपने ऐसा क्यों किया? आपको सिर्फ़ दस्तख़्त करने थे। नियमों में ऐसा कहां हैं कि आप बैलेट पेपर पर दूसरा निशान बना सकते हैं?’ इस पर मसीह ने जवाब दिया, ‘बैलेट पेपर को ख़राब उम्मीदवारों ने किया। उन्होंने इसे खींचा और नष्ट कर दिया।’ चीफ़ जस्टिस ने इस पर सॉलिसिटर जनरल को संबोधित करते हुवे कहा, ‘मिस्टर सॉलिसिटर, इनके ख़िलाफ़ मुकदमा चलाया जाए। ये चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं।’
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर को आदेश दिया कि वो एक ऐसे अधिकारी को नामित करें जिनका झुकाव किसी राजनीतिक दल की ओर न हो और उन्हें रिटर्निंग ऑफ़िसर बनाएं। वही बैलेट पेपर की गिनती करें और नतीजों का एलान करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोटों की गिनती की पूरी प्रक्रिया की निगरानी पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से नामित एक न्यायिक अधिकारी करेंगे। चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘नतीजे के एलान से पहले ये प्रक्रिया जहां रूकी थी, वहां से इसे एक तर्क संगत निष्कर्ष तक ले जाया जाएगा।’ चंडीगढ़ प्रशासन की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कहा कि एक न्यायिक अधिकारी की निगरानी में नए सिरे से चुनाव कराए जाएं।
जिस पर मेयर चुनाव में पराजित घोषित किए गए आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने तुषार मेहता के प्रस्ताव का विरोध किया। कुलदीप कुमार की ओर से पेश हुए सीनियर वकील गुरमिंदर सिंह ने कहा कि मौजूदा बैलेट पेपर के आधार पर ही वोटों की गिनती की जा सकती है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश भी दिया कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव के बैलट पेपर उनके सामने पेश किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बैलेट पेपर पेश करने को कहा था।
विवादों में रहे चुनाव को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया कि वो बैलेट पेपर और वीडियो लाने के लिए एक न्यायिक अधिकारी को तैनात करें। कोर्ट ने प्रशासन से कहा कि उस अधिकारी और तमाम रिकॉर्ड को सुरक्षित तरीके से लाने के लिए सुरक्षा दी जाए। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सभी बैलेट पेपर और वीडियो रिकॉर्डिंग को देखेगा। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफ़िसर रहे अनिल मसीह भी कोर्ट के सामने पेश हुए।
हार्स ट्रेडिंग की बात कहकर लगाया सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार
इस पूरी प्रक्रिया में सबसे बड़ी बात ये रही कि भाजपा ने पुनर्मतदान हेतु तमाम तैयारी कर रखा था। संख्या बल कम न पड़े इस लिए शायद एक दिन पहले (रविवार को) ही आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद भारतीय जनता पार्टी में चले गए। आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद नेहा, पूनम और गुरुचरण काला रविवार को बीजेपी में शामिल हो गए। इसके पहले बीजेपी नेता मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ के मेयर पद से इस्तीफ़ा दे दिया। इसके भी संज्ञान कोर्ट ने लेते हुवे सोमवार को कहा कि ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ हो रही है। ये एक ‘गंभीर मामला’ है।
इसके पहले हाई कोर्ट ने चुनाव नतीजो पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। न्यूज़ एजेंसी से बात करते हुवे पीठासीन अधिकारी और भाजपा नेता अनिल मसीह ने कहा था, ‘जो मेयर चुनाव हुआ, वो प्रक्रिया बहुत शांतिपूर्वक चल रहा था। सांसद के वोट मिलाकर कुछ 36 वोट डाले गए। जब हम मतपत्र जारी कर रहे थे, तब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों की चिंताएं थीं कि मतपत्रों पर कहीं निशान हैं तो क़रीब 11 मतपत्र बदलने के लिए उन्होंने कहा। मैंने उनकी गुज़ारिश का सम्मान किया। उनके 11 मतपत्र मैंने साइड में रखकर उनको नए 11 मतपत्र जारी किए। वोट जब पड़ गए तो वोटों की गिनती शुरू हुई।’
अनिल मसीह बोला था कि ‘मैंने प्रक्रिया के तहत नतीजों का एलान किया कि बीजेपी को 16, आम आदमी पार्टी को 12 और आठ वोट अवैध हैं। एलान करते ही मैंने बीजेपी के पोलिंग एजेंट सौरभ जोशी और आम आदमी पार्टी-कांग्रेस के पोलिंग एजेंट योगेश ढींगरा से गुजारिश की कि आप आगे आकर ये सारे मतपत्र चेक कर लें। मगर कांग्रेस- आम आदमी पार्टी के ये लोग पेपर चेक करने की बजाय कूद पड़े। उन्होंने आकर बैलेट पेपर पर कब्ज़ा कर लिया, उसे फाड़ा।’ आठ मतपत्र अवैध क्यों क़रार दिए गए? इस सवाल पर पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने जवाब दिया था कि ‘मतपत्र में कुछ टिकमार्क या निशान नहीं होने चाहिए। वोटिंग के बाद वो निशान जिन आठ मतपत्रों में पाए गए, उनको हमने आमान्य क़रार दिया।’
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