मिस्बाह बनारसी
डेस्क: सोचने में ही कितना अजीब सा लगता है कि भला मुहब्बत का भी कोई कातिल कैसे हो सकता है? अरे जो मुहब्बत हर एक को सिर्फ मुहब्बत करना सिखाती हो वो दूसरों को नुकसान कैसे पहुंचा सकती है? पर ये बात। दकियानूसी दस्तूर बनाने वाले। नफरत के सौदागरों को कहा समझ आएगी? उन्हें आखिर कैसे समझाया जाए कि इज्जत के नाम पर मुहब्बत का खून करने से, ना इज्जत बढ़ती है और ना मुहब्बत हारती है।
दोनों पक्षों के बीच यहीं से रंजिश शुरू हुई। थाने में तहरीर दी गई थी, जिसमें बाद में दोनों पक्षों के बीच सामाजिक समझौता भी हुआ था। जिसमे हरिमोहन पक्ष ने अंकित को गांव में नहीं आने की चेतावनी दी थी। दो पक्षों के बीच 10 महीनों से चली आ रही यह बदले की चिंगारी मंगलवार को फूट पड़ी। शाम होते ही इलाका फायरिंग से दहल गया। फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई। दस मिनट तक खूनी खेल खेला गया। बुधवार को घायल राहुल ने भी दम तोड़ दिया।
मामला शुरू मंगलवार को हुआ जब गांव में सचिन का सगाई समारोह था, जिसमें शामिल होने के लिए मेरठ से अंकित भी पहुंच गया। जब वह बाजार में गया तो हरिमोहन पक्ष ने उसे देख लिया। तीनों बाप-बेटों ने घेर कर उसकी हत्या कर दी। सठेड़ी मार्ग पर फायरिंग और हत्या की वारदात से फुलत दहल गया।
करीब 10 मिनट में ही खूनी खेल हुआ। पहले अंकित की घेरकर हत्या की गई, इसके बाद दूसरे पक्ष ने कुछ ही दूरी पर तीनों बाप-बेटों को घेरकर गोलियां चला दी। अस्पताल में रोहित की मौत हो गई। गांव में सन्नाटा पसर गया। एक पक्ष के लोग घायलों को लेकर अस्पताल पहुंच गए, जबकि दूसरे पक्ष के लोग भी पुलिस के पहुंचते ही इधर से उधर भागे।
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