फारुख हुसैन
डेस्क: वकील हसन उन रैट होल माइनर्स में से एक है, जिसने उत्तराखंड के सिल्क्यारा टनल में फँसे मज़दूरों को बाहर निकाला था। उनके मकान को डीडीए ने अवैध बताते हुवे तोड़ दिया। नेशनल हीरो वकील हसन के मकान पर चले बुलडोज़र के बाद मामला मीडिया में जमकर उछला। जिसके बाद अब दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडाए ने उन्हें फ़्लैट देने का प्रस्ताव दिया है। जिसके वकील हसन ने ठुकरा दिया है।
हसन ने पीटीआई से कहा, ‘दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधिकारियों ने बुधवार रात बताया कि अस्थायी आवास दिया जा रहा है और बाद में एक घर दिया जाएगा।’ लेकिन इस प्रस्ताव को उन्होंने स्वीकार नहीं किया क्योंकि यह केवल एक ‘मौखिक आश्वासन’ था। इससे एक दिन पहले डीडीए ने वकील हसन के खजूरी खास स्थित घर पर बुलडोज़र चला दिया था। वकील हसन का दावा है कि उन्हें इस कार्रवाई से पहले कोई नोटिस नहीं मिला था।
डीडीए का कहना है कि ये घर सरकारी ज़मीन पर बनाया गया था। डीडीए ने इस बुलडोजर ड्राइव पर बयान जारी कर कहा था कि ‘एक प्राधिकरण के रूप में वह अधिग्रहण और ज़मीन पर ग़ैर क़ानूनी निर्माण की इजाज़त नहीं दे सकता।’ डीडीए का कहना है कि वकील हसन को पहले से पता था कि ये निर्माण ‘अधिग्रहण के दायरे’ में आता है। साल 2016 में भी यहां से निर्माण हटाया गया था जिसे फिर बना लिया गया।
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