आदिल अहमद
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक हालिया फैसले में कहा है कि उत्तर प्रदेश धर्मांतरण कानून सिर्फ विवाह ही नहीं बल्कि लिव-इन-रिलेशनशिप पर भी लागू होता है। जस्टिस रेनू अग्रवाल ने पुलिस सुरक्षा के लिए एक अंतरधार्मिक जोड़े की याचिका को खारिज करते हुए उक्त बाते अपने फैसले में कहा है।
डेक्कन हेराल्ड की खबर के मुताबिक, जस्टिस रेनू अग्रवाल ने पुलिस सुरक्षा के लिए एक अंतरधार्मिक जोड़े की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि धर्म परिवर्तन न केवल विवाह के उद्देश्य के लिए जरूरी है, बल्कि यह विवाह की प्रकृति के सभी रिश्तों में भी आवश्यक है। मार्च, 2021 को लागू इस अधिनियम में अंतरधार्मिक जोड़ों के लिए इसके प्रावधानों के अनुसार धर्म परिवर्तन करना अनिवार्य है।
अदालत ने अधिनियम की धारा 3(1) के स्पष्टीकरण का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति गलतबयानी, बल प्रयोग, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, किसी कपटपूर्ण तरीके या किसी तरह का प्रलोभन देकर किसी अन्य व्यक्ति को सीधे या अन्यथा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा। अदालत ने जोड़ा कि यह प्रावधान स्पष्ट करता है कि विवाह या विवाह की प्रकृति के संबंध में किसी कारणवश धर्म परिवर्तन को इसमें शामिल माना जाएगा।
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