तारिक़ आज़मी
डेस्क: इस समय पूरा विपक्ष कथित शराब घोटाले को लेकर अरविन्द केजरीवाल के गिरफ़्तारी की निंदा कर रहा है। आम आदमी पार्टी इस गिरफ़्तारी को सियासी मुद्दा बना चुकी है। 31 मार्च को दिल्ली की सडको पर आम आदमी पार्टी अपना ‘जनशक्ति प्रदर्शन’ करने वाली है। रैली के तौर पर आम आदमी पार्टी इस कथित शराब घोटाले को लेकर अब ईडी और भाजपा पर हमलावर है। सत्ता पक्ष भले इस मामले में सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रख रहा है। मगर ऑरोबिंदो फार्मा को लेकर लग रहे आरोपों पर खामोश है।
इस गिरफ़्तारी के महज़ 5 दिन बाद 15 नवंबर को ऑरोबिंदो फार्मा ने 5 करोड़ रुपए का चंदा दिया। अब चूंकि ये साफ हो चुका है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को चंदा दिया, तो ये भी स्पष्ट हो चला है कि ये 5 करोड़ बीजेपी को दिए गए थे। संयोग ये है कि ये खुलासा उसी दिन हुआ जब ईडी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने उनके आवास पर पहुंची थी। चंदा देने के कुछ महीनों बाद मई 2023 में दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य से जुड़े कारणों के आधार पर रेड्डी को जमानत दे दी। ज़मानत में स्वास्थ का आधार पीठ में दर्द होना बताया जाता है जिसके कागज़ लेकर आम आदमी पार्टी नेता आतिशी भाजपा पर हमलावर है।
बहरहाल इसके एक महीने बाद जून 2023 में ईडी ने रेड्डी को माफी देने के लिए अदालत में अर्जी लगाई। ईडी ने अदालत से रेड्डी को ‘सरकारी गवाह’ बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि रेड्डी खुद स्वेच्छा से शराब नीति की सारी अनियमितताओं का खुलासा करेंगे। राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने इस अर्जी को स्वीकार कर लिया था। सरकारी गवाह बनने के बाद ऑरोबिंदो फार्मा ने नवंबर 2023 में 25 करोड़ रुपए का एक और चंदा दिया। गौर करने वाली बात ये है कि ये चंदा रेड्डी को सरकारी गवाह बनाए जाने के 5 महीने बाद दिया गया।
ऑरोबिंदो फार्मा ने कुल 6 बार इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे, इनमें से चार बार चंदा बीजेपी को दिया गया। अप्रैल 2021 में हैदराबाद स्थित इस कंपनी ने तेलुगू देसम पार्टी (TDP) को 2.5 करोड़ रुपए का चंदा दिया। जनवरी 2022 में कंपनी ने बीजेपी को 3 करोड़ रुपए का चंदा दिया। वहीं फिर अप्रैल 2022 में ऑरोबिंदो फार्मा ने 15 करोड़ रुपए का चंदा भारत राष्ट समिति (BRS) को दिया। जुलाई 2022 में कंपनी ने बीजेपी को 1.5 करोड़ रुपए का चंदा दिया। 5 करोड़ और 25 करोड़ रुपए के आखिरी दो डोनेशन बीजेपी को दिए गए। कुल मिलाकर, ऑरोबिंदो फार्मा ने 52 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे जिनमें से 34.5 करोड़ रुपए बीजेपी के हिस्से में गए। प्रतिशत निकाला जाए तो बीजेपी को 66% मिला।
अरबिंदो फार्मा हैदराबाद स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी है, जिसकी शुरुआत 1986 में हुई थी। कंपनी का नाम दिल्ली शराब नीति के कथित घोटाले से जुड़ा, जिसमें मुख्य आरोपी दिल्ली सरकार में प्रमुख पदों पर बैठे लोग थे। आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में शराब नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के आखिर में इसे रद्द कर दिया। ईडी का दावा है कि रेड्डी “साउथ ग्रुप” का हिस्सा थे, जिसने कथित तौर पर आप को 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जिसका इस्तेमाल गोवा चुनावों के लिए किया गया। ईडी ने अदालत को बताया था कि रेड्डी कथित घोटाले के प्रमुख लाभार्थियों में से एक थे।
आरोप था कि ये गिरोह “दिल्ली के शराब बाजार के 30 प्रतिशत हिस्से को नियंत्रित करता था”। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक हैं और फरवरी 2023 से जेल में हैं। सरथ रेड्डी पी वी राम प्रसाद रेड्डी के बेटे हैं, जिन्होंने अरबिंदो फार्मा की स्थापना की थी। वह सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक के नित्यानंद रेड्डी के दामाद भी हैं। अरबिंदो फार्मा को 2021-22 में 23,455 करोड़ रुपये के जेनरिक दवाओं के बाजार में एक बड़ा खिलाड़ी माना जाता था।
माना जाता है कि YSR कांग्रेस पार्टी के साथ उनके अप्रत्यक्ष संबंध को देखते हुए, सारथ रेड्डी की गिरफ्तारी का राजनीतिक कारण भी था। सारथ के भाई की शादी YSRCP सांसद विजय साई रेड्डी की बेटी से हुई है। विजय साई रेड्डी को आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी का करीबी माना जाता है। नवंबर 2022 में सरथ रेड्डी की गिरफ्तारी के बाद, अरबिंदो फार्मा ने एक बयान जारी कर कहा, “कंपनी को पता चला है कि सरथ चंद्र की गिरफ्तारी किसी भी तरह से अरबिंदो फार्मा लिमिटेड या उसकी सहायक कंपनियों के संचालन से जुड़ी नहीं है।”
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक, सारथ की गिरफ्तारी के बाद अरबिंदो फार्मा के शेयरों में 11.69 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि, इस नुकसान के बावजूद कंपनी ने रेड्डी की गिरफ्तारी के बाद 5 करोड़ रुपए का चंदा चुनावी बॉन्ड से दिया। ईडी की तरफ से रेड्डी को सरकारी गवाह बनाए जाने के बाद, एजेंसी ने कहा कि वो स्वेच्छा से दिल्ली सरकार की शराब नीतियों की अनियमितताओं का खुलासा करेंगे। ऑरोबिंदो फार्मा ने अप्रैल 2021 से नवंबर 2023 के बीच कुल 52 करोड़ रुपए का चंदा दिया। चंदे की सबसे बड़ी रकम नवंबर 2023 में आई जो कि 25 करोड़ रुपए थी। और ये हुआ सरकारी गवाह बनने के 5 महीनों बाद।
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