निलोफर बानो
डेस्क: चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। उनका इस्तीफ़ा ऐसे समय पर आया है जब आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियां चल रही हैं और माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तारीख़ों की घोषणा हो सकती है। अरुण गोयल के इस इस्तीफे को लेकर चर्चाओं का बाज़ार वैसे ही गर्म है, जैसे नियुक्ति के समय था।
1995 से 2000 के बीच वो लुधियाना ज़िले और 1993 से 1994 के बीच बठिंडा ज़िले के ज़िला चुनाव अधिकारी रह चुके हैं। नवंबर 2022 में जब अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बनाया गया तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। दरअसल अरुण गोयल उसी साल 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले थे, लेकिन उन्होंने 18 नवंबर को ही वीआरएस ले लिया। इसके दूसरे दिन यानी 19 नवंबर को उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया और 21 नवंबर को उन्होंने चुनाव आयुक्त का पदभार ग्रहण कर लिया।
अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि गोयल ने एक ही दिन में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली, एक ही दिन में क़ानून मंत्रालय ने उनकी फ़ाइल को मंज़ूरी दे दी, चार नामों की सूची प्रधानमंत्री के समक्ष पेश की गई और गोयल के नाम को 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति से मंज़ूरी भी मिल गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस पूरे मामले में नियुक्ति प्रक्रिया की धारा छह का उल्लंघन किया गया है।
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