National

जारी हुई नागरिकता संशोधन कानून की अधिसूचना, बोली ममता ‘हम विरोध करेगे और इसको लागू नही करेगे’

तारिक़ खान

डेस्क: पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एलान किया था कि उनकी सरकार लोकसभा चुनाव के पहले सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) लागू कर देगी। अब केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट यानी सीएए के नियमों का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसी के साथ यह क़ानून देश में लागू हो गया है।

इस क़ानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय को नागरिकता दी जाएगी।  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा, ‘मोदी सरकार ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 की अधिसूचना जारी कर दी है इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए अल्पसंख्यकों को यहां की नागरिकता मिल जाएगी।’

उन्होंने लिखा कि ‘इस अधिसूचना के ज़रिये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है इन देशों में रहने वाले सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को संविधान निर्माताओं की ओर से किए गए वादे को पूरा किया है।’ वही इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अगर देश में सीएए लागू होगा तो वो इसका विरोध करेंगी।

उन्होंने कहा कि देश में समूहों के बीच भेदभाव हुआ तो वो चुप नहीं रहेंगी। ममता ने कहा कि सीएए और एनआरसी पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्व के लिए संवेदनशील मसला है और वो नहीं चाहतीं कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में अशांति फैल जाए।  कोलकाता में राज्य सचिवालय में औचक बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता बनर्जी ने कहा, ‘ऐसी अटकलें हैं कि सीएए लागू करने के लिए अधिसूचना जारी होगी।’

उन्होंने कहा कि ‘लेकिन मैं ये साफ़ कर दूं कि लोगों के बीच भेदभाव करने वाले किसी भी फ़ैसले का विरोध किया जाएगा।’ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा- ‘हिम्मत होती तो और पहले लागू करते सीएए, चुनाव के मौके पर क्यों? मैं किसी की नागरिकता नहीं जाने दूंगी।’

क्या है नागरिकता संशोधन कानून ?

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019, 11 दिसंबर 2019 में संसद में पारित किया गया था। इसका मक़सद पाकिस्तान,अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना है। इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया है।

यही इस विवाद की वजह है। विपक्ष का कहना है कि ये संविधान के अनुच्छेद के 14 का उल्लंघन जो सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। एक तरफ़ ये कहा जा रहा है कि ये धार्मिक उत्पीड़न के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की कोशिश है वहीं दूसरी ओर मुस्लिमों का आरोप है कि इसके ज़रिये उन्हें बेघर करने के क़दम उठाए जा रहे हैं।

इस क़ानून पर धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करने के आरोप लगाए गए हैं। भारतीय संविधान के अनुसार देश में किसी के साथ भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। लेकिन इस क़ानून में मुसलमानों को नागरिकात देने का प्रावधान नहीं है। इसी वजह से धर्मनिरपेक्षता के उल्लंघन के आरोप लगाए जा रहे हैं।

pnn24.in

Recent Posts

कानपुर: विसाती तकिया कब्रिस्तान बना हुआ है क्रिकेट का मैदान, सो रहे है ज़िम्मेदारान

मो0 कुमेल कानपुर: साहेब कुछ समझ नही आता क्या हुआ इस पीढ़ी को जिसे सही…

7 hours ago

लखीमपुर खीरी: अदरक व्यवसाई से हुई लूट का महज़ 48 घंटे में किया पुलिस ने खुलासा, घटना में शामिल 4 अभियुक्त गिरफ्तार, एक फरार

फारुख हुसैन लखीमपुर खीरी: लखीमपुर खीरी जिले में बीते 2 दिन पूर्व हाईवे पर दिल…

7 hours ago

अफगानिस्तान के तालिबान ने किया पकिस्तान पर जवाबी हमले का दावा, कहा पाकिस्तान आर्मी के सैनिक मारे गए और कई घायल हुवे

मो0 कुमैल डेस्क: अफ़ग़ानिस्तान में फिलहाल शासन कर रहे तालिबान ने कहा है कि उसने…

7 hours ago

दुधवा में शुरू हुई बाघों की गणना,चार चरणों में होगी बाघों गणना, बाघों की संख्या में देखने को मिल सकता है इजाफा

फारुख हुसैन लखीमपुर खीरी: लखीमपुर जिले के दुधवा टाइगर रिजर्व में एक बार फिर बाघों…

8 hours ago

महाकुम्भ मेले के पहले खीचे जा रहे हाई टेंशन तार का टावर गिरने से कई मजदूर हुवे घायल, घायलों में एक की स्थिति गंभीर

तारिक खान प्रयागराज: प्रयागराज में महाकुंभ से पहले एक बड़ा हादसा हुआ है। कुंभ की…

8 hours ago