सबीहा अंसारी
वाराणसी: वाराणसी में कल प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के दौरे के दरमियान मीडिया ने अल्पसंख्यक समुदाय के मुस्लिम समाज के कुछ लोगो का बयान लिया था। इन बयानों के दरमियान खुद को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पक्षकार बताने वाले मुख़्तार अंसारी ने प्रधानमन्त्री की जमकर तारीफे किया। जिसके बाद एक सवाल खड़ा हुआ कि आखिर मुख़्तार अंसारी क्या वास्तव में ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में पक्षकार है?
उन्होंने अपना बयान जारी करते हुवे लिखा है कि ‘अवाम की जानकारी के लिए बता दे कि बहुत सारे मीडिया बंधुओं के द्वारा गत छः माह से लोहता निवासी मुख़तार अंसारी को ज्ञानवापी मस्जिद के मुक़दमात में पक्षकार के रूप में पेश किया जा रहा है। यह सरीहन ग़लत है। जितने भी मुक़दमात हैं, उसमें केवल दो पक्षकार हैं, अंजुमन इन्तेज़ामिया मसाजिद और यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ बोर्ड। दोनों के वकील है। मीडिया बन्धुओं से अनुरोध है भ्रम पैदा करने की कोशिश न करें।‘
किस मुक़दमे में पक्षकार है मुख़्तार अंसारी
इस सम्बन्ध में हमारे द्वारा जब अपने विधिक सलाहकारों से जानकारी हासिल किया गया तो मिली जानकारी के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद के सरहद में दो कब्रे है। मान्यताओं के अनुसार दोनों सूफी संतो की कब्रे है और 1949 तक यहाँ उर्स आदि होता था। जो बाद में स्वतः बंद हो गया। लोहता निवासी मुख्तार अंसारी के द्वारा उक्त दोनों कब्रों पर उर्स की इजाज़त देने के लिए अदालत में वाद दाखिल किया गया है।
विधिक सलाहकारों की माने तो यह वाद एक धार्मिक अनुष्ठान के आयोजन हेतु दाखिल है। जिसके निपटारे का मस्जिद के प्रकरण से कोई सरोकार नही होगा। इसके अतिरिक्त यदि किसी अन्य वाद में वह पक्षकार है तो इसकी जानकारी हासिल नही हुई है। ऐसे में मस्जिद प्रकरण में उनको पक्षकार मानना ठीक भी नही है।
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