आफताब फारुकी
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा की रिहाई को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका ख़ारिज कर दी है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने जीएन साईबाबा को रिहा करने के आदेश दिए थे। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस पर स्टे लगाने की अपील की थी। साईबाबा माओवादी से संबंध होने के आरोप में पिछले दस साल से जेल में बंद थे। उन्हें यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया गया था।
अदालत ने कहा था कि वे चाहें तो खुद को दोषी ठहराए जाने के ख़िलाफ़ अपील कर सकते हैं। इन लोगों के ख़िलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई थी। जीएन साईबाबा को साल 2014 में गै़र क़ानूनी गतिविधियां रोकथाम क़ानून (यूएपीए) के तहत गिरफ़्तार किया गया था। उन पर माओवादी संगठनों के साथ संबंध रखने के आरोप थे।
इस मामले में साल 2017 में उन्हें दोषी क़रार देते हुए अदालत ने उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी लेकिन 14 अक्तूबर 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने जीएन साई बाबा को रिहा कर दिया। 24 घंटे के अंदर ही 15 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बेला त्रिवेदी की विशेष बेंच ने हाई कोर्ट के फ़ैसले को पलट दिया था।
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